देहरादून में वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने राजधानी में पहली बार दुर्लभ प्रजातियों में शुमार ब्रोंजबैक ट्री स्नेक को पकड़ा है। इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है ब्रोंजबैक ट्री स्नेक खतरा होने पर अपना रूप भी बदल देता है। खतरा होने पर यह अपना शरीर बेहद पतला कर लेता है।

संवाददाता

देहरादून में वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने राजधानी में पहली बार दुर्लभ प्रजातियों में शुमार ब्रोंजबैक ट्री स्नेक को पकड़ा है। बेहद फुर्तीला और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर लंबी छलांग लगाने के लिए मशहूर ब्रोंजबैक ट्री स्नेक को रेस्क्यू टीम के विशेषज्ञों ने दिलाराम चौक सेवक आश्रम रोड से डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के पकड़ा। सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया है।

लोगों की माने तो दिलाराम चौक सेवक आश्रम रोड निवासी अतुल गंभीर के घर में मजदूर पहली मंजिल पर निर्माण कार्य कर रहे थे। इसी बीच मजदूरों ने जैसे ही बल्ली व कुछ सामान उठाया तो एक अजीबो गरीब सांप ने ऊपर से ही जमीन पर छलांग लगा दी। सांप को देखते ही मजदूरों में हड़कंप मच गया।

जब रेस्क्यू टीम पहुंची  इस सांप को पकड़ने में  टीम को काफी मेहनत करनी पड़ी तब जाकर काफी जद्दोजहद के बाद विशेषज्ञों ने सांप को पकड़ा और उसे सुरक्षित ले जाकर जंगल में छोड़ दिया। रेस्क्यू टीम में शामिल विशेषज्ञ रवि जोशी के अनुसार ब्रोंजबैक ट्री स्नेक राजधानी दून में पहली बार पकड़ा गया है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के सरीसृप विज्ञानी डॉ. अभिजीत दास के अनुसार ब्रोंजबैक ट्री स्नेक अमूमन घने जंगलों के बीच पेड़ों की ऊंची डालियों पर पाया जाता है और एक डाली से दूसरी डाली के बीच लंबी छलांग लगा सकता है। ऐसे में इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।

इतना ही नहीं ब्रोंजबैक ट्री स्नेक खतरा होने पर अपना रूप भी बदल देता है। खतरा होने पर यह अपना शरीर बेहद पतला कर लेता है। साथ ही पेड़ों की डालियों से ऐसे चिपक जाता है जैसे वह पेड़ की डाली का ही हिस्सा हो। उन्होंने बताया कि ब्रोंजबैक ट्री स्नेक जहरीला नहीं होता।

इसका सिर चौड़ा और चपटी गोल थूथन होती हैं। सांप की आंखें अन्य सांपों की तुलना में बहुत अधिक बड़ी और पूछ बेहद लंबी व तार जैसी पतली होती है। मेंढक और छिपकली ब्रोंजबैक ट्री स्नेक का पसंदीदा भोजन हैं। यह भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों में पाया जाता है।

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