भारत के इतिहास की सबसे लंबी ट्रेन को ‘शेषनाग’ का नाम दिया गया था. दरअसल, भारतीय रेल के दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने 2 जुलाई 2020 को महाराष्ट्र के नागपुर से छत्तीसगढ़ के कोरबा के बीच शेषनाग ट्रेन चलाई थी. पढ़िए पूरी जानकारी, इसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे

V S Chauhan ki report

भारत के इतिहास की सबसे लंबी ट्रेन को ‘शेषनाग’ का नाम दिया गया था. दरअसल, भारतीय रेल के दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने 2 जुलाई 2020 को महाराष्ट्र के नागपुर से छत्तीसगढ़ के कोरबा के बीच शेषनाग ट्रेन चलाई थी.

भारत के इतिहास की सबसे लंबी ट्रेन का नाम शेषनाग है

देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय रेल का एक अहम योगदान है. यह यात्री सेवाओं के साथ-साथ माल ढुलाई के जरिए भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करती है. भारत में मालगाड़ी के जरिए कई तरह के सामान एक जगह से दूसरी जगह पर भेजे जाते हैं. इनमें अनाज, फल, सब्जी, कोयला, लोहा, स्टील, सीमेंट आदि शामिल हैं. इसके अलावा मालगाड़ी एक साथ बड़ी संख्या में वाहनों को भी एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में अहम भूमिका निभाता है. आपने कई बार देखा होगा कि भारतीय रेल की मालगाड़ियों पर बड़ी संख्या में ट्रैक्टर, ट्रक, कार, बाइक और सैन्य वाहनों को भी लादकर चलती है. लेकिन, क्या आपको मालूम है कि भारतीय रेल के इतिहास में सबसे लंबी ट्रेन कौन-सी है?

आमतौर पर एक मालगाड़ी में लगाए जाते हैं अधिकतम 58 कोच
आमतौर पर यात्री ट्रेनों की एक रेक में अधिकतम 24 कोच लगाए जाते हैं. वहीं, मालगाड़ी की एक रेक में डिब्बों की ये संख्या 20 से शुरू होकर 58 तक हो सकती है. मालगाड़ी की एक रेक में लगाई जाने वाले डिब्बों की संख्या उनके साइज और लोड पर निर्भर करती है. लेकिन, बीते साल जब देश कोरोनावायरस की पहली लहर से जूझ रहा था, उस वक्त भारतीय रेल देश के कोने-कोने में जरूरी सामान की सप्लाई बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग कर रही थी. इसी सिलसिले में भारतीय रेल ने बीते साल दो नए प्रयोग किए, जो सफल भी हुए और इतिहास में नाम भी दर्ज हो गया. आज हम आपको भारतीय इतिहास की सबसे लंबी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे बीते साल कोरोना काल में चलाया गया था.

भारत की सबसे लंबी ट्रेन का नाम है शेषनाग

भारत के इतिहास की सबसे लंबी ट्रेन को ‘शेषनाग’ का नाम दिया गया था. दरअसल, भारतीय रेल के दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने 2 जुलाई 2020 को महाराष्ट्र के नागपुर से छत्तीसगढ़ के कोरबा के बीच शेषनाग ट्रेन चलाई थी. इस ट्रेन की कुल लंबाई 2.8 किलोमीटर थी. इस ट्रेन में मालगाड़ी के 4 रेक लगाए गए थे जिसमें कुल 251 डिब्बे शामिल थे. इस ट्रेन में इलेक्ट्रिक इंजन के 4 सेट थे. ट्रेन के सबसे आगे 3 और बीच-बीच में 2-2 इंजन के 3 और सेट थे. इसका मतलब 251 डिब्बों वाली शेषनाग को खींचने के लिए कुल 9 इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल किया गया था. शेषनाग के सफल प्रयोग के बाद इसका नाम इतिहास में दर्ज हो गया क्योंकि ये भारत की सबसे लंबी ट्रेन थी.

सुपर एनाकोंडा नाम की भी चलाई गई थी ट्रेन
बीते साल कोरोना काल में भारतीय रेल ने शेषनाग के अलावा एक और ट्रेन चलाई थी. इस ट्रेन का नाम ‘सुपर एनाकोंडा’ रखा गया था. इस ट्रेन में कुल 177 डिब्बे लगाए थे, जिनमें 15 हजार टन का माल लोड किया गया था. ये ट्रेन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और चक्रधरपुर डिवीजन के बीच चलाया गया था. इस ट्रेन का संचालन भी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) ने किया था. 30 जून 2020 को चलाई गई इस ट्रेन में मालगाड़ी के कुल 3 रेक लगाए थे, जिन्हें 2-2 इलेक्ट्रिक इंजन के 3 सेट खींच रहे थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *