भारत-नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला में बादल फटने से कई रास्ते बंद हो गए हैं. कुलागाढ़ नाला जिस जगह पर काली नदी से मिलता है, वहां पर भारी मात्रा में मलबा एकत्र होने से झील बन गई है।

Herdyes  ballabh goswami for NEWS EXPRESS INDIA for NEWS EXPRESS INDIA

उत्तराखंड में इस बार मानसून ने आते ही अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. पूरे प्रदेश में भारी बारिश का कहर देखने को मिल रहा है. सभी नदियां उफान पर हैं. पहाड़ तिनके की तरह नदियों में समा रहे हैं, तो कहीं सड़कों पर गिरा मलबा मार्गों को बंद कर रहा है. इसी बीच भारत-नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला में बादल फटने से स्थिति खराब हो गई है. स्थानीय प्रशासन लगातार जनता को सतर्क रहने को कह रहा है. वहीं एनडीआरएफ की टीम लगातार घटना पर नज़र बनाई हुई है.

अत्यधिक बारिश होने के कारण धारचूला में पानी का स्तर बढ़ने की संभावना है. बादल के फटने से कई रास्ते बंद हो गए हैं.बादल फटने से किसी भी तरह की जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन पुलिस अलर्ट मोड में आ चुकी है. लोगों को सुऱक्षित जगह पर जाने की सलाह दे रही है.वहीं एनडीआरएफ की टीम लगातार घटना पर नज़र बनाई हुई है.

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बारिश के कारण हालात खराब है। कुमाऊं के कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हो गये। ऊधमसिंह नगर जिले के खटीमा और सितारंगज में गई गांव पानी में डूबे हुए हैं। मौसम विभाग ने फिलहाल 15 जुलाई तक बारिश की चेतावनी दी है।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून से तबाही का मंजर दिखने लगा है। पिथौरागढ़ में धारचूला से लगभग 14 किलोमीटर दूर अतिवृष्टि से कुलागाढ़ में भारी मलबा आ गया है। भारी संख्या में मलबे के कारण काली नदी का प्रवाह भी तेज हो गया है। अतिवृष्टि से नदी उफान पर है, जिसके चलते पिथौरागढ़-तवाघाट मार्ग बंद हो गया है। इस दौरान टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे पर बने मोटर पुल के टूटने की सूचना भी आई लेकिन स्थानीय लोगों ने जाकर देखा तो पुल सुरक्षित है। हालांकि पुल के आसपास भारी मात्रा में मालवा आया हुआ है।

पिथौरागढ़ जिला आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार शुक्रवार को धारचूला क्षेत्र में अतिवृष्टि के कारण 8 किलोमीटर दूर बहने वाला कुलागाढ़ नाला उफान पर आ गया। कुलागाढ़ नाला जिस जगह पर काली नदी से मिलता है, वहां पर भारी मात्रा में मलबा एकत्र होने से झील बन गई है। इस झील से पुल को भी खतरा पैदा हो गया है। यहां बनी झील का जलस्तर बढ़ने से काली नदी के किनारे बसे धारचूला, जौलजीवी, बलुवाकोट के साथ ही घाटी वाले क्षेत्रों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

स्थानीय लोगों के अनुसार बारिश के दौरान आसपास के पहाड़ों से लगातार बोल्डर गिर रहे हैं। नदी के साथ आ रहे भारी बोल्डर के कारण लोगों के घरों में भी कंपन महसूस हो रहा है। बारिश से यहां लोग बुरी तरह से सहमे हुए हैं। वहीं प्रशासन भी मुनादी करा कर लोगों को सतर्क कर रहा है।

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