चम्बल के खौफनाक, खूंखार डकैत रहे मलखानसिंह की पत्नी बनीं निर्विरोध सरपंच,डाकू से राजनीति तक का सफर जानकारी के लिए पढ़ें पूरीखबर.

VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

अधिकतर डाकू चंबल इलाके में रहते थे जो पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता लेखक पॉल सलोपेक के अनुसार “एक दुर्गम उबड़-खाबड़ पहाड़ों और मिट्टी-रेत से भरी नदियों वाला इलाक़ा था जहाँ ठग, लुटेरे, हत्यारे, गुंडे भरे थे और जहाँ हाइवे पर कुख्यात लुटेरे होते थे जिन्हें डकैत कहा जाता था”.

अधिकांश लोगों ने फिल्मों के पर्दे पर घोड़े पर दौड़ते हुए या चंबल के बीहड़ों में ऊंची नीची पहाड़ियों पर हाथों में बंदूक लिए चंबल के डकैतों को देखा होगा लेकिन आज आधुनिक युग है अब डकैती का अंदाज बदल चुका है आप लोग सूट बूट में रहकर गांव तो गांव वह शहरों में भी डकैती डालते हैं. यह स्टोरी डाकू मलखान से जुड़ी हुई है कभी डाकू मलखान सिंह का चंबल के बीहड़ में राज चलता था डर और खौफ का नाम  मलखान सिंह था वक्त के साथ डाकू मलखान सिंह की जीवन में परिवर्तन आया आज एक आम आदमी की तरह जीवन गुजार रहा है

चंबल के बीहड़ में 80 के दशक में डाकू मलखान सिंह की तूती बोलती थी। 80 के दशक में लगभग एक लाख के इनामी मलखान सिंह पर एक सैकड़ा से अधिक हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण, लूट के मामले दर्ज थे।

चंबल के बीहड़ों के सबसे खूंखार डकैत रहे मलखान सिंह की पत्नी को ग्रामीणों ने निर्विरोध सरपंच चुना है। गुना जिले की आरोन इलाके की सिनगयाई पंचायत में पूर्व बागी मलखान सिंह की पत्नी ललिता राजपूत ने सरपंच पद के लिए नामांकन भरा था, जिसके बाद गांव वालों ने एकजुट होकर पूर्व डकैत मलखान सिंह की पत्नी को निर्विरोध सरपंच चुन लिया है। ललिता राजपूत ने कहा कि पिछले 20 साल से गांव में विकास नहीं हो पाया है, सड़क से लेकर पानी तक कोई व्यवस्था नहीं है। अब गांव वालों ने निर्विरोध सरपंच चुना है तो यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं गांव को एक बेहतर आदर्श गांव के रूप में विकसित करूंगी।

बता दें कि गुना जिले की आरोन इलाके की सिनगयाई ग्राम पंचायत एक ऐसी पंचायत है जिसमें अभी तक सरपंच और सभी पंच महिलाएं हैं। इसी के चलते पूर्व डकैत मलखान सिंह की पत्नी ललिता राजपूत ने गांव में सरपंच पद के लिए इच्छा जताई थी और उसके बाद गांव वालों ने एकजुट होकर ललिता राजपूत को सरपंच के पद पर निर्विरोध चुन लिया। ललिता राजपूत के पति और पूर्व खूंखार डकैत मलखान सिंह ने कहा कि गांव में शुरू से ही बिजली, सड़क और पानी की समस्या है। लेकिन अब ग्रामीणों की भरोसे पर गांव में विकास कराया जाएगा। इसके साथ ही सिंह ने कहा कि गांव में किसी भी कीमत पर कोई भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे और इसके साथ ही गांव में किसी तरह का कोई झगड़ा और आपसी रंजिश भी नहीं चलने देंगे।

80 के दशक में बोलती थी तूती
गौरतलब है कि पूर्व डकैत मलखान सिंह चंबल के सबसे खूंखार डाकुओं में शुमार रहा है। चंबल के बीहड़ में 80 के दशक में डाकू मलखान सिंह की तूती बोलती थी। 80 के दशक में लगभग एक लाख के इनामी मलखान सिंह पर एक सैकड़ा से अधिक हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण, लूट के मामले दर्ज थे। उसके बाद 1982 में डाकुओं के सरदार रहे मलखान सिंह और उनकी गैंग ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद मलखान सिंह 6 साल तक जेल में रहा और 1989 में सभी मामलों में बरी करके उसे रिहा कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद मलखान सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए .अब 78 साल के हो चुके मलखान सिंह राजनीति में उतर चुके हैं. हाल के वर्षों में उन्होंने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार भी किया है.

डाकू मलखान सिंह की कहानी

एक महिला डाकू फूलन देवी तब कुख्यात हो गईं जब उन्होंने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने के लिए ऊंची जाति के 22 हिंदुओं की हत्या कर दी थी.

लेकिन चंबल में सबसे अधिक डर डाकू मलखान सिंह और उनके गिरोह का था. वे पैदल ही चला करते थे और ऊंचे किनारों वाली गहरी संकरी घाटियों में अस्थायी कैंप लगा कर रहा करते थे.मलखान सिंह एक लंबे, तगड़े, हैंडलबार मूंछों वाले संकोची व्यक्ति थे जो अमेरिका में बनी सेल्फ लोडिंग राइफल रखा करते थे.”वो बहुत कम बोलते लेकिन अहम वाले वाले व्यक्ति थे जिनका उनके लोगों के बीच सम्मान था.”उनके गिरोह में तब क़रीब दो दर्जन लोग थे जो हर रात अपने बहुत थोड़े सामानों- बिस्तर, हथियारों, तिरपाल और राशन के साथ जगह बदल लेते थे. वो खुले में सोते थे,मलखान सिंह की कहानी ‘क्लासिक’ थी. निचली जाति का एक युवक जिसके बारे में कहा जाता था कि उसने आत्मसम्मान और आत्मरक्षा के लिए बंदूक उठाई जो उस पर जुल्म ढाने वाले एक ऊंची जाति के ज़ालिम व्यक्ति से बदला लेना चाहता था.”

13 साल के लंबे राज के दौरान मलखान सिंह के गिरोह में क़रीब 100 लोगों ने काम किया और उनसे मुक़ाबला करने वाले डाकुओं ने ही उन्हें “दस्यु राजा” का नाम दिया.

1982 की भीषण गर्मियों में पंजियार और उनके मित्र कल्याण मुखर्जी और बृजलाल सिंह मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार और डाकू मलखान सिंह के बीच मध्यस्थ बने वो समर्पण कर दे. उन्होंने मलखानसे संपर्क किया.

जब मलखान सिंह ने समर्पण किया

आखिरकार हज़ारों लोगों के सामने जून के महीने में आत्मसमर्पण हुआ. मलखान सिंह ने अन्य शर्तों के अलावा सरकार को इस बात के लिए भी रज़ामंद कर लिया था कि उनके किसी साथी को मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी.

आखिर, मलखान सिंह और गिरोह के अन्य सदस्यों को उनके उन अपराधों की सज़ा सुनाई गई जो उन पर लगाए गए थे. उन्हें खुली जेल में भेजा गया जहां उन सभी ने साथ कुछ समय बिताए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *