Saurabh CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA
अनोखी चीजों और जगहों की कोई कमी नहीं है. आज हम आपको इस राज्य के एक अनोखे पुल के बारे में बताएंगे, उत्तर प्रदेश के कासगंज में है. अंग्रेजों ने इस पुल को 135 साल पहले बनवाया था. यह पुल न केवल कासगंज के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी अद्वितीय संरचना देख लोग हैरान रह जाते हैं और चमत्कार बताते हैं. जानते हैं नदरई पुल के बारे में.
कासगंज का नदरई पुल
नदरई पुल की सबसे खास बात यह है कि यह पुल लगभग 60 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसके नीचे काली नदी बहती है, जबकि उसके ऊपर से नहर और नहर के ऊपर सड़क बनी हुई है, जिस पर आज भी भारी वाहन चलते हैं. यह पुल 1.5 किलोमीटर लंबा है और इसकी मजबूती आज भी वैसी ही बनी हुई है, जैसी 150 साल पहले थी।.
पुल के अंदर बनी गुफा
इस पुल के निर्माण का एक और अनोखा पहलू यह है कि इसके अंदर एक गुफा भी बनी हुई है. कहा जाता है कि अंग्रेज आपातकाल की स्थिति में इस गुफा में छिप जाया करते थे. इसके बावजूद पुल आज तक कहीं से भी लीकेज नहीं हुआ है, जो इसकी शानदार इंजीनियरिंग का प्रमाण है.
नदरई पुल के पीछे का उद्देश्य
इतिहासकार अमित तिवारी के अनुसार, इस पुल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य इस इलाके में नहरों के कारण होने वाली जलभराव की समस्या से निजात दिलाना था. अंग्रेजों ने इस पुल का निर्माण बहुत सोच-समझकर किया था, ताकि पानी की समस्या हल हो सके.
135 साल पहले, 1889 में बनकर तैयार हुए इस पुल से होकर लोअर गंगा कैनाल गुजरती है. इसे दुनिया के शीर्ष जलसेतुओं में गिना जाता है और यह कई अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम का भी हिस्सा है.
विदेश तक होती थी चर्चा
19वीं शताब्दी में नदरई पुल विश्व भर के अखबारों की सुर्खियों में रहा था. 16 जनवरी 1892 को अमेरिका केकैलिफ़ोर्निया के ‘पेसिफिक रूरल प्रेस’ अखबार के मुख्य पृष्ठ पर इस जलसेतु की खबर छपी थी.
उत्तराखंड के रुड़की में भी750 फुट लंबा, 175 फुट चौड़ा चिनाई वाला जलसेतु सोलानी नदी के ऊपर ऊपरी गंगा नहर को ले जाता है और इसके नदी तल में औसतन 0.25 मिलीमीटर रेत का व्यास होता है। इसके अलावा, इसमें 80,000 क्यूसेक के बाढ़ प्रवाह को ले जाने की क्षमता है। इसके निर्माण के पीछे का कारण पुर्तगाल में अल्कांटारा जलसेतु से प्रेरणा थी।