यूपी प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी की जमीन का उत्तराखंड सरकार ने सीज कर लिया है।

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उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के प्रभावी नेता रघुराज प्रताप सिंह की पत्नी भानवी सिंह के नाम से रजिस्ट्री जमीन को नैनीताल में जब्त किया गया है। दरअसल, उत्तराखंड सरकार कृषि भूमि को ‘बाहरी लोगों’ के अधिग्रहण से बचाने के लिए एक सख्त कानून पर विचार कर रही है। इसको देखते हुए नैनीताल के जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी रजिस्टर जमीन पर कार्रवाई हुई है।

भानवी सिंह इस समय राजा भैया से अलग रह रही हैं। दोनों के बीच तलाक का केस चल रह है। नैनीताल में उनकी आधा हेक्टेयर (27.5 नाली) से अधिक जमीन जब्त कर ली है।

भानवी सिंह के नाम पर कैंची धाम उपखंड के अंतर्गत सिल्टोना गांव में स्थित यह जमीन 2006 में कृषि उद्देश्यों के लिए खरीदी गई थी। इसके बाद से अब तक इस पर कोई खेती-बाड़ी नहीं हुई है। जांच के बाद राजस्व विभाग ने संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही शुरू की। आयुक्त की अदालत और राजस्व बोर्ड में कार्रवाई को चुनौती देने के बावजूद भानवी सिंह की अपील खारिज कर दी गई।

अधिकारी ने क्या कहा?

राजस्व विभाग के एक अधिकारी नरेश असवाल ने कहा कि उत्तराखंड के कानून के अनुसार कृषि के लिए खरीदी गई जमीन का इस्तेमाल दो साल के भीतर उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सर्वेक्षणों से पता चला है कि 2006 से इस भूमि पर कोई कृषि गतिविधि नहीं हुई है, जिसके कारण हमें संपत्ति को सरकार को सौंपने की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, भानवी सिंह ने अतिक्रमण को रोकने के लिए भूमि पर कांटेदार तार की बाड़ लगाई थी, लेकिन खेती न होने के बाद उन्हें नोटिस भेजा गया। आयुक्त न्यायालय और राजस्व बोर्ड में अपनी अपील हारने के बाद राज्य सरकार ने औपचारिक रूप से भूमि पर कब्जा कर लिया।

एसडीएम ने दी जानकारी

कैंची धाम के एसडीएम बिपिन चंद्र पंत ने पुष्टि की कि भूमि अब सरकार के नियंत्रण में है और इस पर लगी बाड़ हटा दी गई है। एसडीएम पंत ने बताया कि संपत्ति 2006 में एक स्थानीय ग्रामीण से खरीदी गई थी, लेकिन इसने उत्तराखंड (यूपी जेडएएलआर संशोधन) अधिनियम की धारा 154(4)(3) का उल्लंघन किया।

एसडीएम ने कहा कि अधिनियम के अनुसार भूमि को दो साल के भीतर अपने स्वीकृत उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना आवश्यक है। अब भूमि जेडएएलआर अधिनियम की धारा 167 के तहत राज्य को सौंप दी गई है।

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