विकास के साथ- साथ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को भाजपा अपनी सियासत का सबसे असरदार हथियार मानती है। वही हथियार भाजपा की विरोधी कांग्रेस के हाथों में नजर आया।

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पिछले दिनों उत्तराखंड में राहुल गांधी की कांग्रेस की विजय सम्मान रैली में भारी भीड़ देखने को मिली. ऐसा लगा जनता ने नोटबदी ,जीएसटी, छोटे व्यापारियों को नुकसान, जैसे मुद्दों पर नाराजगी जाहिर की. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को भाजपा अपनी सियासत का सबसे मारक और असरदार हथियार मानती है. भाजपा की विरोधी कांग्रेस के हाथों में वही हथियार नजर आया। कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव का आगाज करने के लिए रणनीतिक तरीके से विजय दिवस का दिन चुना ताकि वह सैनिकों की भूमि उत्तराखंड में राष्ट्रवाद के मुद्दे से भाजपा को उसी के अंदाज में जवाब दे सके। अबकी बार कांग्रेस भी भाजपा के ही अंदाज में वार करती नजर आई।

1.सैन्य अफसरों का सम्मान, जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि
सैन्य बहुल उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने शहीद सम्मान यात्रा के जरिये पूर्व सैनिकों को साधने की कोशिश की तो वही अंदाज जनसभा में कांग्रेस का भी दिखा। पार्टी ने जनसभा स्थल पर हाल ही में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत का बड़ा कट आउट लगाकर उन्हें अनूठे अंदाज में दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि दी। मंच पर 1971 भारत-पाक युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैन्य अफसरों को सम्मान देकर पार्टी ने सैनिकों और पूर्व सैनिकों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश की। रैली के मंच को इस ढंग से सजाया गया कि वह राष्ट्रवाद की भावना से ओत प्रोत नजर आए। मंच पर राहुल ने सैन्य अफसरों को सम्मान किया,

2.बलिदान की गाथा से भावनाओं को छूने की कोशिश
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं ने उत्तराखंड के जांबाज सैनिकों की बलिदान गाथा के जरिये भावनाओं को छूने की कोशिश की। साथ ही संदेश देने का प्रयास किया कि देश के लिए गांधी परिवार का बलिदान भी कम नहीं रहा। राहुल ने अपनी दादी इंदिरा और अपने पिता राजीव की हत्या का प्रमुखता से जिक्र किया और कहा कि सेना में कुर्बानी देने वाले समझ सकते हैं कि एक पिता और भाई को खोने का दर्द क्या होता है।

3.राहुल के मंच पर बजा शंख, गूंजे मंत्र ,उसमें हिंदुत्व का पुट भी दिखाई दे।

सियासी जानकारों का मानना है कि राहुल की जनसभा की पटकथा को इस अंदाज में बुना गया कि उसमें हिंदुत्व का पुट भी दिखाई दे। इसके लिए मंच पर पुरोहित आए और उन्होंने मंत्रोच्चार के जरिये राहुल का अभिवादन किया। फिर मंच पर शंख की आवाज गूंजी। भाजपा सरकार पर मंदिरों की स्वायत्ता को खत्म करने का आरोप लगाए गए और यह संदेश देने की कोशिश की कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन की जीत में कांग्रेस का अहम योगदान रहा।

4.राहुल का टारगेट
जनसभा में राहुल के निशाने पर  नोटबंदी, जीएसटी, कोविड को लेकर केंद्र सरकार पर टारगेट किया। उम्मीद की जा रही थी कि वह 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की भाजपा सरकार और उसकी नीतियों पर प्रहार करेंगे, लेकिन इस बारे में उन्होंने कोई बात नहीं की। अलबत्ता पीएम नरेंद्र मोदी को बनारस में गंगा स्नान को लेकर भी तंज जरूर किया।

5.अब भीड़ को वोट में बदलने को बनेगी रणनीति

कांग्रेस के स्टार प्रचार एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में देहरादून शहर और आसपास की विधानसभा सीटों पर टिकट के दावेदारों ने भीड़ जुटाने में दमखम दिखाया। परेड मैदान में जुटी भीड़ से उत्साहित दावेदार अब टिकट के लिए और जोर आजमाइश करेंगे। परेड मैदान की भीड़ के जरिए चुुनावी मैदान मारने की रणनीति पर भी दावेदारों के साथ ही पार्टी संगठन का फोकस रहेगा। पार्टी के पदाधिकारियों ने इस बात के संकेत दिए हैं।

गौरतलब है कि परेड मैदान में हुई विजय सम्मान रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने के लिए पार्टी के कई शीर्ष नेता, जिलों, शहर, बूथ स्तर तक के पदाधिकारी, आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों से लेकर और पार्टी के आम कार्यकर्ता भी तैयारी में जुटे हुए थे।

इसके अलावा कांग्रेस सेवादल भी रैली की तैयारी में लगा हुआ था। पार्टी के बड़े नेताओं ने टिकट के दावेदारों को लक्ष्य सौंपते हुए अधिक से अधिक लोगों को रैली में लाने को कहा था। साथ ही यह भी इशारा किया था कि जो जितनी भीड़ लाएगा पार्टी में उन्हें टिकट मिलने की उतनी ही ज्यादा गारंटी रहेगी। टिकट के लिए भीड़ का पैमाना तय होने पर दावेदारों ने भी इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी।

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