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उत्तराखंड में दोबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा ने छोटे-छोटे वोटबैंक पर सेंधमारी करनी शुरू कर दी हैा इसके लिए सरकार ने ऐसे मुद्दों पर फोकस करना शुरू कर दिया हैा सरकार ने सदन में उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक 2021 लेकर आई हैा सदन में पेश विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि फ्रीहोल्ड के लिए पहले पैसा जमा करा चुके व्यक्तियों को अब दोबारा धनराशि जमा नहीं करानी पड़ेगी। स्वमूल्यांकन के आधार पर 25 प्रतिशत धनराशि जमा करा चुके कब्जाधारकों के लिए पुरानी दरें लागू होंगी। नए आवेदन पर वर्तमान सर्किल रेट लागू होगा। विधेयक में नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने के लिए तीन श्रेणियां बनाकर सर्किल रेट के आधार पर शुल्क तय किया गया है। बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में आने वाले परिवारों को 50 वर्ग मीटर तक की आवासीय भूमि को मुफ्त फ्रीहोल्ड कराने की सुविधा का प्रविधान किया गया है। नजूल नीति के अनुसार पट्टेदार और उनके विधिक उत्तराधिकारी एवं क्रेता अपनी काबिज भूमि को फ्रीहोल्ड कराने के लिए पात्र होंगे। विभागों को नजूल भूमि मुफ्त आवंटित की जाएगी। नामित व्यक्ति के पक्ष में फ्रीहोल्ड की सुविधा अनुमन्य नहीं होगी। नजूल भूमि पर अवैध कब्जे की कट आफ डेट नौ नवंबर 2011 निर्धारित की गई है। राज्य में अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रुद्रपुर, रुड़की, ऋषिकेश, देहरादून समेत कई अन्य शहरों में नजूल भूमि पर लोग बसे हुए हैं। जो कि करीब पौने चार लाख हेक्टेयर भूमि है। इससे 1.50 लाख के करीब लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।
मलिन बस्तियों और बंगाली समुदायों को दे चुकी है पहले राहत
इससे पहले सरकार चुनावी साल में उत्तराखंड में अवैध और मलिन बस्तियों को लेकर बड़ा फैसला ले चुकी है। जिसमें अगले तीन साल तक किसी बस्ती को न तोड़ने का फैसला लिया जा चुका है। इस फैसले के बाद प्रदेश के 63 नगर निकायों की 582 मलिन बस्तियों के 7,71,585 निवासियों को राज्य सरकार ने वर्ष 2024 तक राहत दी हुई है। भाजपा के सत्ता में आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भी बस्तियों के विनियमितीकरण का फैसला लिया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन साल तक बस्तियों को तोड़ने पर रोक लगा दी थी।
जिसका लाभ भी भाजपा को मिल सकता है। मलिन बस्ती के वोटबैंक पर कांग्रेस अपना हक जताती रही है। लेकिन अबकी बार भाजपा ने बड़ा कार्ड खेला है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने पौने 3 लाख बंगाली वोटर को भी साधने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर ही उत्तराखंड सरकार भी बंगाली समुदाय के लोगों को प्रमाणपत्र जारी करने का फैसला ले चुकी है। उनके प्रमाणपत्र से पूर्वी पाकिस्तान और उसमें पूर्वी बंगाल से विस्थापित भी नहीं हटाने का फैसला लिया था। यूएसनगर की विधानसभा सीटों पर बंगाली समुदाय का वोटबैंक है। जिससे भाजपा को इसका लाभ मिलना तय है।