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भारतीय रेल (Indian Railway) देश की लाइफलाइन कही जाती है. हर दिन करोड़ों लोग ट्रेनों पर सवार होते हैं और अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचते हैं. देश में लोकल ट्रेनों से लेकर लग्जरी ट्रेनें तक चलती हैं. ट्रेनों में दी जाने वाली सुविधाओं के अनुसार टिकट की कीमतें भी होती हैं. लंबी दूरी की यात्राओं के लिए लोगों को आरामदायक सफर चाहिए होता है. रात का सफर हो तो आराम से नींद लेकर सफर किया जा सके. गर्मियों में फैन से लेकर एयर कंडीशन यानी एसी की सुविधा हो.. भीड़भाड़ से राहत हो.. तो सफर और भी आसान हो जाता है न!
मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की बात करें तो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जेनरल बोगी से लेकर, टू एस, चेयर कार, स्लीपर, थ्री एसी इकोनॉमी, थ्री एसी, टू एसी, फर्स्ट क्लास डिब्बे लगे होते हैं. इनमें अलग-अलग चार्ज भी होते हैं. राजधानी, शताब्दी, दुरंतो समेत कई ट्रेनें तो फुल एयर कंडीशन्ड (AC Train) होती हैं, यानी ट्रेन की हर बोगी AC वाली होती है. एक समय था, जब ट्रेनें एकदम साधारण हुआ करती थीं. फिर एक समय आया, जब ट्रेन में AC बोगी का इस्तेमाल किया गया. आज हम आपको यही रोचक किस्सा बताने जा रहे हैं.
87 साल पहले चलाई गई थी पहली AC ट्रेन
क्या आप जानते हैं कि देश की पहली एयर कंडीशन्ड ट्रेन कौन सी थी या एसी बोगी वाली पहली ट्रेन कौन सी थी और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी? शायद नहीं जानते होंगे! हम आपको बता दें कि AC बोगी वाली पहली ट्रेन का नाम था- फ्रंटियर मेल (Frontier Mail Train). आज से 93 साल पहले वर्ष 1928 में इस ट्रेन को शुरू किया गया था. तब इसका नाम था- पंजाब मेल(Punjab Mail). लेकिन वर्ष 1934 में इस ट्रेन में AC बोगी जोड़ी गई और इसका नाम फ्रंटियर मेल रख दिया गया.
राजधानी एक्सप्रेस जैसा महत्व!
यह पहली बार हो रहा था, जब कोई ट्रेन एयर कंडीशन्ड बोगियों के साथ चली हो. यह ट्रेन बेहद खास थी. सोचिए कि उस समय पहली बार लोगों ने गर्मियों के दौरान पहली बार एकदम कूल होकर ट्रेन में सफर की शुरुआत की होगी. इस बेहद खास ट्रेन का महत्व उस समय राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के बराबर या शायद उससे ज्यादा ही रहा होगा. अब ये सोचिए कि उस समय ट्रेन में AC के लिए क्या सिस्टम लगाया गया होगा!
बिना AC के कैसे रखा जाता था ट्रेन को ठंडा?
उस समय तक ट्रेनों में एसी जैसे उपकरण फिट नहीं किए जा सके थे. आजकल की तरह उस समय ऐसे आधुनिक उपकरण नहीं लगे होते थे, न ही आजकल जैसी तकनीक विकसित हो पाई थी. ऐसे में फ्रंटियर मेल के AC ट्रेन को ठंडा रखने के लिए अलग ही उपाय किया जाता था. दरअसल, ट्रेन की बोगी को ठंडा रखने के लिए बर्फ की बड़ी-बड़ी सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था. बोगियों के नीचे बॉक्स लगे होते थे, जिनमें बर्फ रखकर पंखा लगाया जाता था. ये पंखे यात्रियों को ठंडी हवा देते थे, जिससे यात्री बहुत ही राहत महसूस करते थे.
कहां से कहां तक चलती थी ट्रेन?
फ्रंटियर मेल ट्रेन मुंबई से अफगान बार्डर पेशावर तक चला करती थी. ट्रेन दिल्ली, पंजाब और लाहौर होते हुए पेशावर तक पहुंचती थी. उस समय इस ट्रेन में स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेज अधिकारियों के अलावा देश के एलीट वर्ग के कुछ लोग भी सफर किया करते थे. फ्रंटियर मेल एक्सप्रेस 72 घंटे में अपना सफर पूरा करती थी. यात्रा के दौरान फस्ट और सेकंड क्लास यात्रियों को खाना भी दिया जाता था. सफर के दौरान एसी बोगियों को ठंडा रखने के लिए रास्ते में अलग-अलग स्टेशनों पर बॉक्स में से पिघले हुए बर्फ यानी ठंडे पानी को खाली किया जाता था और उनकी जगह बर्फ की सिल्लियां भरी जाती थीं फिर उसी तरह फैन चला कर लोगों को कूल किया जाता था. इस ट्रेन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी ट्रैवल कर चुके हैं.
ट्रेन की कुछ और खासियतें
- टाइमली चलती थी और कभी लेट नहीं होती थी यह ट्रेन.
- 1934 में शुरू होने के 11 महीने बाद ट्रेन पहली बार लेट हुई.
- लेट होने पर सरकार ने ड्राइवर को भेजा था शोकॉज नोटिस.
- 1940 तक ट्रेन में 6 बोगियां होती थीं और करीब 450 लोग सफर करते थे.
- ट्रेन में फस्ट और सेकंड क्लास के यात्रियों को खाना भी दिया जाता था.
- यात्रियों को अखबार, किताबें और मनोरंजन के लिए ताश के पत्ते दिए जाते थे.
- आजादी के बाद ये ट्रेन मुंबई से अमृतसर के बीच चलाई जाने लगी.
- 1996 में इस ट्रेन का नाम बदलकर ‘गोल्डन टेम्पल मेल’ कर दिया गया.