एक हजार बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर बिजनौर यूपी और उत्तराखंड के अधिकारी आमने-सामने.

Rajender  Singh for NEWS EXPRESS INDIA

बिजनौर में मंडावर के गंगा क्षेत्र में ग्राम पंचायत टीप की करीब एक हजार बीघा जमीन पर उत्तराखंड के अधिकारियों ने कुछ लोगों को काबिज करा दिया। इसका बिजनौर के राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने विरोध किया। सूचना मिलने पर थाना मंडावर पुलिस पीएसी के साथ मौके पर पहुंच गई और सोमवार शाम तक विवाद नहीं सुलझा है। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

मंडावर थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत टीप के दो गांव रामसहाय वाला, हिम्मतपुर बेला गंगा की दूसरी ओर स्थित है। वहीं सोमवार को जहां कुछ लोगों ने उत्तराखंड के अफसरों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत की करीब एक हजार बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया है। वहीं शिकायत हुई तो बिजनौर के राजस्व अफसर भी अपने नक्शे और कागजात लेकर मौके की ओर दौड़ पड़े। चकबंदी नक्शा व बंदोबस्त के कागजात लेकर पहुंची राजस्व विभाग की टीम को उत्तराखंड के अफसरों ने वापस जाने को कह दिया। इसके बाद राजस्व विभाग की सूचना पर मंडावर पुलिस पीएसी समेत सीमा पर पहुंची। शाम तक विवाद नहीं सुलझा तो दोनों राज्यों के अधिकारी लौट गए।

नहीं निकला समाधान, टकराव के हालात
ग्राम पंचायत टीप की करीब एक हजार बीघा जमीन पर दिनभर उत्तराखंड और यूपी के राजस्व अधिकारियों के बीच विवाद होता रहा। उत्तराखंड के अधिकारियों ने बिजनौर के नक्शे और अभिलेखों को नकार दिया। शाम तक कोई समाधान नहीं निकला और यहां टकराव के हालात बने हुए हैं।

मंडावर थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत टीप के दो गांव रामसहयवाल व हिम्मतपुर बेला के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सीमा पर उत्तराखंड की तहसील (जिला हरिद्वार) लक्सर के गांव मोहनवाला व बादशाहपुर के ग्रामीणों ने उत्तराखंड के अफसरों से मिली भगत कर यूपी की करीब 1000 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया है। ग्राम प्रधान चंद्रपाल सिंह, पूर्व प्रधान श्यामलाल, रकम सिंह जितेंद्र की सूचना पर पहुंची कानूनगो इंद्रपाल सिंह व लेखपाल नीरज चौहान टीम लेकर मौके पर पहुंचे और कब्जे का विरोध किया।

उन्होंने चकबंदी विभाग के नक्शे व बंदोबस्त संबंधित अभिलेख उत्तराखंड के अधिकारियों को दिखाए तो उन्होंने इन अभिलेकों को नकार दिया। टीम ने मंडावर पुलिस को सूचना दी तो बालावाली चौकी इंचार्ज पुलिस पीएसी के साथ मौके पर पहुंच गई। पुलिस और पीएसी के पहुंचने के बाद दोनों तरफ के अफसरों में वार्ता दोबारा शुरू हुई, लेकिन उत्तराखंड के अफसर यूपी के अफसरों की बात नहीं सुन रहे थे। वह इन कागजों को नहीं मान रहे थे। देर शाम तक दोनों ओर से वार्ता चलती रही, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।

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