प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिसंबर को देहरादून पांच बड़ी योजनाओं का शिलान्यास करेंगे।इसमें दिल्ली-देहरादून एशिया का सबसे बड़ा वन्यजीव एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल है।

VS CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

सहारनपुर जिले से देहरादून आने वाले रास्ते पर एशिया का सबसे बड़ा वन्यजीव एलिवेटेड कॉरिडोर बनने जा रहा है। ऐसी ही पांच बड़ी योजनाओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिसंबर को देहरादून में शिलान्यास करेंगे। साथ ही वह सात योजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे। कुल मिलाकर पीएम मोदी करीब 20 हजार करोड़ की सौगात देकर जाएंगे।

इन पांच योजनाओं का होगा शिलान्यास, जिनसे सफर होगा आसान 
– दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस-वे : ईपीई जंक्शन से देहरादून तक 175 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे करीब 8600 करोड़ की लागत से तैयार होगा। हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, यमुनानगर, बागपत, मेरठ और बड़ौत से कनेक्टिविटी के लिए सात प्रमुख इंटरचेंज होंगे। 750 से ज्या वर्षा जल संचयन और वाटर रिचार्ज प्वाइंट होंगे। इसमें एशिया का सबसे बड़ा 12 किलोमीटर लंबा वन्यजीव एलिवेटेड कॉरिडोर बनेगा। इसके बनने के बाद दिल्ली से देहरादून की यात्रा छह घंटे से घटकर ढाई घंटे हो जाएगी।

ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट : दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर 2082 करोड़ की लागत से 51 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट बनाया जाएगा। यह दिल्ली से हरिद्वार के बीच बहादराबाद और सहारनपुर के हलगोवा के बीच बनेगा। इसमें छह इंटरचेंज, चार फ्लाईओवर, छह प्रमुख पुल, दस माइनर, दो रेलवे ओवर ब्रिज और 10 वीयूपी होंगे।
हरिद्वार रिंग रोड : गांव और कस्बों को हाईवे से जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत हिरिर रिंग रोड का निर्माण होगा। यह रिंग रोड मनोहरपुर से कांगड़ी तक 15 किलोमीटर लंबा होगा, जिस पर 1602 करोड़ का खर्च होगा। इससे कुमाऊं की कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी।

लक्ष्मण झूला के पास पुल : लक्ष्मणझूला पुल की भार क्षमता घट जाने की वजह से आवागमन बंद है। इसके पास ही 132.30 मीटर स्पान का 69 करोड़ की लागत से नया पुल बनेगा। पैदल यात्रियों के लिए ग्लास डैक का प्रावधान किया गया है। इस पुल पर हल्के वाहन भी चल सकेंगे। ऋषिकेश की ओर 35 मीटर स्पान का अतिरिक्त एप्रोच ब्रिज भी बनेगा।
देहरादून-पौंटा साहिब मार्ग : 1695 करोड़ की लागत से 50 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाया जाएगा। यह पौंटा साहिब से शुरू होकर बल्लूपुर चौक तक बनेगा। इसमें तीन बड़े, 43 छोटे पुल, एक फ्लाईओवर, 15 अंडरपास शामिल हैं। इससे हिमाचल से देहरादून की यात्रा काफी आसान हो जाएगी।

इन योजनाओं का पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण
व्यासी जल विद्युत परियोजना : 1777 करोड़ की 120 मेगावाट की यह जलविद्युत  परियोजना तैयार है। 86 मीटर ऊंचे बांध वाली इस परियोजना से हर साल 353 मिलियन यूनिट अतिरिक्त हरित ऊर्जा का उत्पादन भी होगा। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
ऑल वेदर रोड, देवप्रयाग से श्रीकोट : 257 करोड़ की लागत से ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत देवप्रयाग से श्रीकोट तक 38 किलोमीटर सड़क चौड़ी करने का काम पूरा हो चुका है। इसके निर्माण से देवप्रयाग, बागबान, लक्ष्मोली, जुयालगढ़, कीर्तिनगर और स्वीत गांवों की संयोजकता सुगम होगी।

ऑल वेदर रोड, ब्रहम्पुरी से कौड़ियाला : 248 करोड़ की लागत से 33 किलोमीटर सड़क चौड़ीकरण और डक्ट निर्माण के काम तेजी से चल रहे हैं। ब्रहम्पुरी से कौड़ियाला महादेव चट्टी तक दो लेन में चौड़ीकरण हो चुका है। 600 मीटर मैरीन ड्राईव का निर्माण भी हो चुका है। पर्यटकों के लिए सफर सुलभ होगा।
ऑल वेदर रोड, लामबगड़ : लामबगड़ में कई साल से क्रोनिक लैंड स्लाइड जोन सक्रिय होने से बदरीनाथ धाम जाने वाले यात्रियों और आसपास के लोगों को लगातार परेशानी हो रही थी। लिहाजा, 108 करोड़ की लागत से स्थायी उपचार किया गया है। 500 मीटर की लंबाई में 27 से 44 मीटर ऊंचाई की रीनफोर्स अर्थवॉल और पत्थर से बचाव के लिए रॉकफॉल बैरियर बनाया गया है। भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा में स्थित होने के कारण यह लाभकारी है।

ऑल वेदर रोड, साकणीधार, देवप्रयाग और श्रीनगर : करीब 75 करोड़ 90 लाख रुपये की कीमत से इन सभी जगहों पर स्थायी भूस्खलन वाले क्षेत्रों का उपचार किया गया है। साकणीधार में 200 मीटर, देवप्रयाग में 200 मीटर और श्रीनगर में 700 मीटर मार्ग का उपचार किया गया है।
हिमालयन कल्चरल सेंटर देहरादून : 67 करोड़ की लागत से गढ़ीकैंट में हिमालयन कल्चरल सेंटर स्थापित किया गया है। इसे तहत एक राज्य स्तरीय संग्रहालय, बाह्य एवं आंतरिक कला दीर्घाएं, 800 सीट क्षमता का ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, नाट्यशाला और कांफ्रेंस हॉल का निर्माण किया गया है। इसमें प्रदेश की सभी सांस्कृतिक गतिविधियों, रंगमंच, आर्ट गैलरी, क्राफ्ट प्रदर्शनी को संजोकर रखा जाएगा।

सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई : सेलाकुई स्थित सगंध पौधा केंद्र को केंद्र सरकार ने और मजबूती प्रदान की है। यहां 40 करोड़ की लागत से 20 हजार 560 वर्गफिट क्षेत्र में छह अत्याधुनिक इत्र और सुगंध प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है। इससे सगंध क्षेत्र से जुड़े रिसर्च, कृषि प्रसार, प्रसंस्करण, गुणवत्ता नियंत्रण, मूल्य संवर्धन आदि की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

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