पिछले दिनों कोरोना काल के समय उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 1134 की जान पर बन आई थी जो संक्रमित व्यक्ति आइसोलेशन में थे, पढ़ि‍ए पूरी खबर

वीएस चौहान की रिपोर्ट

पिछले दिनों कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद जिन व्यक्तियों ने होम आइसोलेशन का विकल्प अपनाया उनमें से कई की जान पर भी बन आई थी। उनको मालूम ही नहीं चला कि उनकी ऑक्सीजन इतनी घट गई है कि अब उनकी जान को खतरा है अपनी स्थिति का उचित आकलन किए बिना घर में रहे तमाम कोरोना संक्रमितों के शरीर में आक्सीजन का स्तर 90 से नीचे पहुंच गया था। जब सांस लेने में दिक्कत हुई तब घबराकर जल्दी से  kovid सेंटर पहुंचे या दूसरे अस्पताल पहुंचे. और घर पर ही जो लोग ऑक्सीजन लगवा रहे थे. उन्होंने अपने आप को ठीक समझ कर रात को ऑक्सीजन हटाकर रख दी. और सो गए. रात में सोते वक्त ऑक्सीजन घटने के बाद उनकी दिमाग ने काम नहीं किया और वह सोते रह गए.दुर्भाग्य से मौत की गोद में चले गए.

कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद जिन व्यक्तियों ने होम आइसोलेशन का विकल्प अपनाया, उनमें से कई की जान पर भी बन आई थी। अपनी स्थिति का उचित आकलन किए बिना घर में रहे तमाम कोरोना संक्रमितों के शरीर में आक्सीजन का स्तर 90 से नीचे पहुंच गया था। जान सांसत में पड़ने पर 1134 व्यक्तियों ने स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में सूचना दी और फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के मुताबिक, देहरादून में एक मई से 12 मई तक कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले सामने आए। जब संक्रमण दर अधिक थी, तब होम आइसोलेट मरीजों में आक्सीजन का स्तर घटने के मामले भी सर्वाधिक आए। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में आक्सीजन का स्तर घटने से संबंधित सूचना 27 मई तक दर्ज की गईं। इसके बाद 31 मई तक ऐसी कोई सूचना नहीं आई। कुल 1134 सूचना में से 861 सूचना माह के शुरुआती 12 दिन (एक से 12 मई तक) में ही दर्ज हो गई थीं। कोरोना के मामले घटने के बाद अब घर के लिए भी आसानी से आक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध हो जा रहे हैं। जिस समय मामले अधिक आ रहे थे, उस समय सिलिंडर मिलने में भी दिक्कत आ रही थी।

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