आर्थिक तंगी से जूझ रहे उत्तराखंड परिवहन निगम के फास्टैग ने काम करना बंद कर दिया। इस वजह से टोल प्लाजा पर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों को दोगुनी रकम चुकानी पड़ रही है।

वीएस चौहान की रिपोर्ट

उत्तराखंड परिवहन निगम आर्थिक तंगी से गुजर रहा है पिछले वर्ष लोक डाउन के समय से चालकों और परिचालकों की तनख्वाह का मुद्दा बार-बार उठता रहा है ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझ रहे उत्तराखंड परिवहन निगम के फास्टैग ने काम करना बंद कर दिया। इस वजह से टोल प्लाजा पर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों को दोगुनी रकम चुकानी पड़ रही है। मामले में रोडवेज ने तकनीकी खामी मानते हुए फास्टैग कंपनी को पत्र लिखा है।

 

दरअसल, रोडवेज की बसों पर फास्टैग तो लगा है लेकिन पिछले दो दिनों से टोल प्लाजा पर वह काम नहीं कर रहा है। इस वजह से रोडवेज के कर्मचारियों को सभी टोल प्लाजा पर नियमानुसार टोल फीस की दोगुनी रकम बतौर जुर्माना अदा करनी पड़ रही है। दो दिन में ही परिवहन निगम को इससे लाखों रुपये का नुकसान हो गया है।

उत्तराखंड से रोजाना 800 से ज्यादा बसें दूसरे राज्यों को चलती हैं। इन बसों के रास्तों में तमाम टोल प्लाजा आते हैं। निगम इन बसों पर फास्टैग लगाए हुए हैं। यह अभी तक सही काम कर रहे थे, लेकिन अचानक दो दिन से काम नहीं कर रहे हैं। कुछ कर्मचारियों ने आशंका जताई है कि फास्टैग वाले खाते में पैसा खत्म हो गया है, जिसकी वजह से उन्हें टोल प्लाजा पर दोगुनी रकम देनी पड़ रही है।

हालांकि रोडवेज प्रबंधन ने इससे इनकार किया है। उन्होंने इसे तकनीकी खामी माना है। परिवहन निगम के महाप्रंबधक तकनीकी एवं संचालन दीपक जैन ने बताया कि फास्टैग के खाते में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है, लेकिन तकनीकी दिक्कत की वजह से फास्टैग रीड नहीं हो पा रहे थे।

उन्होंने इस संबंध में कंपनी से वार्ता की, जिसके बाद फास्टैग चल गए हैं। फिलहाल दो दिन की जो समस्या रही है, उसे लेकर कंपनी को पत्र भेजा गया है ताकि इस रकम की भरपाई हो सके।

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