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भारत में कई जगहें हैं जहां पाकिस्तान की सीमा इंडिया से लगी हुई है. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की कुल लंबाई 3,323 किमी. है.भारत में कई जगहों पर इंडो-पाक बॉर्डर हैं. कुछ ही जगहें हैं जहां से लोग पाकिस्तान की सीमा और पाकिस्तान के लोगों को देख सकते हैं. इनमें से सबसे ज्यादा फेमस है, अटारी-वाघा बॉर्डर.
अटारी-वाघा बॉर्डर जिसे आमतौर पर वाघा बॉर्डर कहा जाता है. वाघा बॉर्डर पंजाब के अमृतसर से लगभग 30 किमी. दूर है.
भारत की तरफ बॉर्डर पर अटारी गांव है और पाकिस्तान की तरफ बॉर्डर पर वाघा गांव है. इस वजह से इस बॉर्डर को अटारी-वाघा बॉर्डर के नाम से जाना जाता है.
वाघा बॉर्डर सेरेमनी
अटारी-वाघा बॉर्डर पर हर रोज शाम को रिट्रीट सेरेमनी होती है. भारत और पाकिस्तान के जवान इस रिट्रीट को करते हैं.
साल 1959 से दोनों देश द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच हुई जंग और आतंकी हमले के दौरान इस सेरेमनी को नहीं किया गया है.
अटारी-बाघा बॉर्डर पर द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी दोनों देश की फ्रेंडशिप और राइवलरी का एक सिंबल है. सेरेमनी में जवान एक-दूसरे की तरफ जाते हैं और गुस्से से देखते हैं. बाद में एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं. इसके बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के झंडों को एक साथ सम्मान के साथ उतारा जाता है.
वाघा बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी हर रोज होती है. इस सेरेमनी को देखने के लिए हजारों लोग अटारी बॉर्डर पर पहुंचते हैं. अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान और पाकिस्तान के लोग बिल्कुल पास दिखाई देंगे. रिट्रीट सेरेमनी देखना का अनुभव बेहद शानदार होता है.
अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोजाना सनसेट के समय द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है. सर्दियों में द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी शाम 4 बजे शुरू होती है और गर्मियों में 5 बजे शुरू होती है. अगर आप द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी देखने जा रहे हैं तो दो घंटे पहले ही पहुंच जाए जिससे आपको देखने की जगह आराम से मिल जाए.
अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाली द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की टिकट आप ऑनलाइन और ऑफलाइन ले सकते हैं. अगर टिकट पहले से ऑनलाइन करते हैं तो बॉर्डर पर काफी टाइम बचेगा. इस टिकट को कोई फीस नहीं होती है. आपको बस ऑनलाइन या ऑफलाइन बुकिंग करनी होती है.
अटारी-वाघा बॉर्डर जाओगे तो अपने साथ आईडी प्रूफ जरूर रखें. अपने साथ पानी की बोतल और खाने की लिए हल्का-फुल्का कुछ ले जाएं. द बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में फोटो और वीडियो ले सकते हैं.
अटारी-वाघा बॉर्डर पंजाब की राजधानी अमृतसर से लगभग 30 किमी. की दूरी पर है. आप बस या टैक्सी से अटारी बॉर्डर पहुंच सकते हैं.
अटारी-वाघा बॉर्डर जाने के लिए आपको अमृतसर तो जाना ही पड़ेगा. ऐसे में आप अमृतसर को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं. अमृतसर की सबसे फेमस जगह गोल्डन टेंपल है. गोल्डन टेंपल में आप हरमिंदर साहिब के दर्शन जरूर करें.
अटारी बॉर्डर का इतिहास
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद सीमा स्तंभ संख्या 102 के पास ऐतिहासिक शेर शाह सूरी रोड या ग्रैंड ट्रंक रोड पर ‘अटारी-वाघा’, संयुक्त चेक पोस्ट ‘जेसीपी’ स्थापित की गई थी। भारत की तरफ वाले गांव को ‘अटारी’ कहा जाता है।
यह महाराजा रणजीत सिंह की सेना के जनरलों में से एक, सरदार शाम सिंह अटारीवाला का पैतृक गांव था। पाकिस्तान की तरफ वाला द्वार, वाघा के नाम से जाना जाता है। जैसे भारत में ‘अटारी बॉर्डर’ कहा जाता है, उसी तरह पाकिस्तान में इसे ‘वाघा बॉर्डर’ के नाम से पहचाना जाता है।
इस समारोह के आयोजन के लिए दोनों देशों की सरकारों ने सहमति जताई थी। 1947 में भारतीय सेना को दोनों देशों को मिलाने वाले एनएच-1 पर स्थित संयुक्त चेक पोस्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शुरुआत में सेना की कुमाऊं रेजीमेंट ने जेसीपी के लिए पहली टुकड़ी प्रदान की थी।
11 अक्तूबर 1947 को ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा द्वारा पहला ध्वजारोहण समारोह देखा गया था। अब अटारी में बने भव्य परिसर के निकट, सुपर किंग एयर बी-200 विमान (अब सेवा में नहीं) को स्थापित किया गया है।
इस समारोह के आयोजन के लिए दोनों देशों की सरकारों ने सहमति जताई थी। 1947 में भारतीय सेना को दोनों देशों को मिलाने वाले एनएच-1 पर स्थित संयुक्त चेक पोस्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शुरुआत में सेना की कुमाऊं रेजीमेंट ने जेसीपी के लिए पहली टुकड़ी प्रदान की थी।