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उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट फिर गहराने लगा है. यहां ताश के पत्तों की तरह ढहते मकानों से कई गांवों में हड़कंप है. बारिश का दौर खत्म होने के बाद भी मकान गिरने से यह संकेत मिल रहा है कि यहां भूस्खलन या भूधंसाव का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इन्हीं गांवों से एक पगनो गांव है.
चमोली के जोशीमठ विकास खंड के पगनो गांव में इस सीजन की बारिश से काफी नुकसान हुआ है. बारिश की वजह से ही गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. इससे गांव में लगातार भय का माहौल बना हुआ है. पगनो गांव 124 परिवार वाला गांव है. इसमें से पूरी तरह 50 परिवारों के मकानों पर खतरा मंडरा रहा है.लगातार गांव में भूस्खलन जारी है. इसमें से 6 मकान बिना बारिश के ही ताश के पतों की तरह ढह गए हैं.
गांव के पूर्व प्रधान रमेश सुंदरियाल का कहना है कि पगनो गांव में प्रशासन के लोग भी आए हैं, लेकिन खाली आश्वासन ही मिला है. अभी तक गांव वालों का विस्थापन के लिए कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. भूस्खलन से गांव के लोग रात को सो नहीं पा रहे हैं.
बुधवार को भी छह मकान भरभराकर ढह गए. जबकि बारिश भी नहीं थी. गांव को लगातार खतरा बना हुआ है. जी मीडिया की टीम से पूर्व प्रधान ने अपने गाँव का दुःख दर्द बयां किया और गांव में आने को कहा ताकि सरकार को मौजूदा हालात दिखाए जा सकें.
गौरतलब है कि जोशीमठ में पिछले साल दरकते मकानों का बड़ा संकट आया था. इसके बाद केंद्रीय स्तर पर और उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार के स्तर पर जांच कराई गई थी. इसके बाद धामी सरकार ने पुनर्वास पैकेज भी घोषित किया था. लेकिन जोशीमठ की प्राकृतिक आपदा का सही समाधान अभी तक नहीं मिल सका है.