VSCHAUHAN and herdyes ballabh goswami for NEWS EXPRESS INDIA
उत्तराखंड राज्य के पुलिस महानिदेशक श्रीअशोक कुमार द्वारा राज्य के इनामी अपराधियों के विरुद्ध चलाए जा रहे “ऑपरेशन प्रहार” के तहत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ श्री आयुष अग्रवाल द्वारा उत्तराखंड में गैंगस्टर एवं इनामी अपराधियों के विरुद्ध ठोस रणनीती बनाकर लगातार कार्यवाही अपनी टीमों के द्वारा कराई जा रही है,
उत्तराखंड एसटीएफ का एक और धमाका, अंडरवर्ड डॉन छोटा राजन के करीबी को किया भारत–नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया.मुंबई के मशहूर खोजी पत्रकार जे.डे की हत्या में हुई उम्रकैद का सजायाफ्ता शातिर यह इनामी अपराधी अपनी पैरोल से फरार हुआ था.और काफी समय से कई एजेंसियों को तलाश थी .
छोटा राजन गैंग से ताल्लुख रखने वाला इस इनामी अपराधी दीपक सिसोदिया की गिरफ्तारी के लिए उत्तराखण्ड पिछले एक साल से प्रयास कर रही थी लेकिन दीपक सिसोदिया के नेपाल में छिपे होने के कारण उसकी गिरफ्तारी सम्भव नही हो पा रही थी। एसटीएफ को ऐसी गोपनीय सूचनाएँ मिल रही थी कि दीपक चोरी-छिपे हल्द्वानी आता है जिस पर टीम काम कर रही थी.
देर रात्रि टीम को सूचना मिली कि दीपक सुबह- सुबह आने वाला है इस पर टीम को बनबसा क्षेत्र में लगाया गया था सटीक मुखबिरी के अनुसार दीपक कार फोर्ड फियेस्टा से नेपाल से बनबसा पहुँचा जिसे टीम ने बनबसा रेलवे स्टेशन के पास से धर दबोचा। उसे बनबसा से लाकर हल्द्वानी थाने में दाखिल कराया गया है । जहाँ से उसे बाद में मुंबई भेजा जाएगा।
एसटीएफ की इस कार्यवाही में हे0कानि0 महेन्द्र गिरी, हे0का0 किशोर कुमार व का0 मोहित वर्मा की विशेष भूमिका रही।एसएसपी एसटीएफ श्री आयुष अग्रवाल के मुताबिक, दीपक सिसोदिया को मुंबई की कोर्ट ने महाराष्ट्र के मशहूर खोजी पत्रकार जेडे की हत्या शामिल होने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनायी थी, तब से वह महाराष्ट्र की अमरावती सेन्ट्रल जेल में बन्द था। जनवरी 2022 को उसे 45 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया था.
उसे पैरोल की अवधि मार्च में खत्म होने पर अमरावती जेल वापस जाना था लेकिन वह फरार हो गया। दीपक सिसोदिया हल्द्वानी का रहने वाला है और यह जून 2011 में मुंबई में हुए अंग्रेजी सांध्य दैनिक अखबार मिड डे के वरिष्ठ पत्रकार जेडे की हत्या में सम्मिलित होने का दोषी पाया गया था। इसने अण्डरवर्ड डॉन छोटा राजन गैंग के शूटरों साथ सम्मिलित होकर इस हत्याकांड को अंजाम दिलाया था, जिसमे यह अपराधी उम्रकैद की सजा काट रहा था।
पिछले वर्ष में पैरोल में आने के बाद वापस न जाकर नेपाल भाग गया था । तब से एसटीएफ इस अपराधी के बारे में अपनी जानकारी एकत्रित कर रही थी और उन्ही एकत्रित जानकारी के आधार पर सटीक योजना बनाकर इस अपराधी की गिरफ्तारी संभव हो पाई।