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प्रदेश के छह जिलों के कुछ इलाकों में शनिवार भारी बारिश हो सकती है। खासकर कुमाऊं के नैनीताल और बागेश्वर में भारी बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने इन दोनों जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। जबकि देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, चंपावत और ऊधमसिंह नगर जिले के कुछ इलाकों में तेज गर्जन और बिजली चमकने के साथ तेज बारिश की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा, 21 अगस्त के बाद प्रदेशभर के लगभग सभी जिलों में तेज बारिश देखने को मिल सकती है।
भूस्खलन की जद में आया विकासनगर तहसील का जाखन गांव भू-वैज्ञानिकों की दृष्टि से एक्टिव जोन में है। जिसके चलते प्रभावित क्षेत्र निवास करने लायक नहीं है। जिस जगह भूस्खलन हुआ, उसके आसपास के क्षेत्र में कभी भी भूस्खलन हो सकता है।
शुक्रवार को जिलाधिकारी के निर्देश पर भू-वैज्ञानिक कामिनी बिष्ट के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने आपदा प्रभावित गांव का दौरा किया। बारीकी से प्रभावित क्षेत्र की मिट्टी का भौतिक परीक्षण किया। आपदा प्रभावित गांव के साथ ही आसपास के क्षेत्र को भी देखा। लोगों से भी जानकारी जुटाई।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की भू-वैज्ञानिक कामिनी बिष्ट ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र की पहाड़ी में मजबूत चट्टानें नहीं हैं। अधिकांश भाग मिट्टी का है। अतिवृष्टि के चलते बारिश का पानी मिट्टी में लगातार रिसता रहा। उन्होंने बताया कि संभवत: भू-धंसाव की यह प्रक्रिया कई दिनों से चल रही थी, लेकिन लोगों को इसका आभास नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि जिस जगह पर लैंड स्लाइड हुआ, वहां अब भू-धंसाव की कम उम्मीद है, लेकिन एक्टिव जोन होने की कारण आसपास के क्षेत्र में भूस्खलन होने की लगातार आशंका बनी हुई है। एक्टिव जोन के चलते जमीन अस्थिर हो गई है। मिट्टी के ढीली होने के कारण जमीन के धंसने की लगातार आशंका बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि भूस्खलन को रोकने के लिए नीचे कोई हार्ड रॉक (कठोर चट्टान) भी नहीं है। एक्टिव जोन के भू-धंसाव को रोकने लिए कोई इंतजाम किया जाना भी संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। ऐसे में प्रभावित क्षेत्र रहने लायक स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
बीते बुधवार की दोपहर ढाई से तीन बजे के बीच पहाड़ी के दरकने से विकासनगर तहसील के दुर्गम में स्थित जाखन गांव भूस्खलन की चपेट में आ गया था। भूस्खलन में 10 मकान जमींदोज हो गए थे। दो को आंशिक क्षति पहुंची थी। सात गोशालाएं भी तबाह हो गई थी। सड़क धंस गई थी। खेत-खलिहानों में दरारें आ गई थीं। आनन-फानन में गांव को खाली करा दिया गया था। गांव में 28 परिवार निवास कर रहे थे।