हिमस्खलन में फंसने के दो दिन बाद बृहस्पतिवार को 12 और शव बरामद किए गए। 15 पर्वतारोही अब भी लापता हैं। शवों की संख्या 16 हो गई है. पढ़ें हिमस्खलन क्या होता है?

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देहरादून, छह अक्टूबर (भाषा) नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के पर्वतारोहियों के एक दल के उत्तरकाशी में हिमस्खलन में फंसने के दो दिन बाद बृहस्पतिवार को 12 और शव बरामद किए गए। संस्थान की तरफ से यह जानकारी दी गई। माना जा रहा है कि 15 पर्वतारोही अब भी लापता हैं। पर्वतारोही चढ़ाई के बाद लौटते समय 17 हजार फुट की ऊंचाई पर द्रौपदी का डांडा-द्वितीय चोटी पर मंगलवार को हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे। एनआईएम के मुताबिक, 12 और शव मिलने के साथ ही अब तक बरामद किए जा चुके शवों की संख्या 16 हो गई है, जिनमें से अधिकतर प्रशिक्षु थे.

 जानिए उत्तराखंड में हिमस्खलन की चपेट में कैसे आए 41 पर्वातारोही

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के 41 पर्वतारोही द्रौपदी का डंडा-II पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग ले रहे थे। इनमें से 34 ट्रेनी और 7 इंस्ट्रक्टर थे।

सभी मंगलवार सुबह करीब 4 बजे 5670 मीटर यानी 18 हजार फीट से ज्यादा ऊंचे द्रौपदी पर्वत की चोटी पर पहुंचे थे। वापस लौटते समय सुबह करीब 8 बजकर 45 मिनट पर एक हिमस्खलन की चपेट में आ गए।

हिमस्खलन क्या होता है?

जवाब: बर्फ या पत्थर के पहाड़ की ढलान से तेजी से नीचे गिरने को हिमस्खलन या एवलांच कहते हैं। हिमस्खलन के दौरान, बर्फ, चट्टान, मिट्टी और अन्य चीजें किसी पहाड़ से नीचे की ओर तेजी से फिसलती हैं।

हिमस्खलन आमतौर पर तब शुरू होता है जब किसी पहाड़ की ढलान पर मौजूद बर्फ या पत्थर जैसी चीजें उसके आसपास से ढीली हो जाती हैं। इसके बाद ये तेजी से ढलान के नीचे मौजूद और चीजों को इकट्टा कर नीचे की और गिरने लगती हैं। चट्टानों या मिट्टी के स्खलन को भूस्खलन कहते हैं।

हिमस्खलन तीन तरह के होते हैं:

चट्टानी हिमस्खलन: इनमें बड़े-बड़े चट्टानों के टुकड़े होते हैं।

हिमस्खलन: इनमें बर्फ पाउडर या बड़े-बड़े टुकड़ों के रूप में होती है। ये अक्सर ग्लेशियर या हिमनदी के आसपास होते हैं।

मलबे के हिमस्खलन: इसमें पत्थर और मिट्टी समेत कई तरह के मटेरियल होते हैं।

मुख्यत: ये दो तरीके से होता है- पहला कई बार पहाड़ों पर पहले से मौजूद बर्फ पर जब हिमपात की वजह से वजन बढ़ता है, तो बर्फ नीचे सरकने लगती है, जिससे हिमस्खलन होता है। दूसरा-गर्मियों में सूरज की रोशनी यानी गर्मी की वजह से बर्फ पिघलने से हिमस्खलन होता है।

एक बड़े और पूरी तरह से विकसित हिमस्खलन का वजन 10 लाख टन या 1 अरब किलो तक हो सकता है। पहाड़ों से नीचे गिरने के दौरान इसकी स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे से 320 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा हो सकती है।

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