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कभी-कभी व्यक्ति बहुत ज्यादा क्रोध में ऐसे काम कर लेता है. जो उसको जिंदगी पछतावा होता रहता है. लेकिन उस वक्त गुस्से में जाने अनजाने अपराध तो हो ही जाता है जिसकी सजा कानून में मिलनी ही होती है. कानून की सजा भी कभी कभी कम लगने लगती है. जब उस व्यक्ति को अपराध बोध होता है. और उससे गुस्से में जो अपराध हो गया होता है वह अपने आप को माफ नहीं कर पाता है. ऐसे ही अपराध की कहानी है एक बाप अपने बेटे की हत्या कर देता है.
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में पुलिस ने धूलकोठ में लापता युवक के हत्याकांड का खुलासा किया है. आरोपी युवक के माता-पिता और बहन ही निकली है.
सोमवार को एसपी राहुल कुमार अओढा ने बताया 15 दिन पहले धूलकोट निवासी राम कृष्ण चौहान का शव रुपारेल नदी में मिला था. मृतक परिजनों ने 2 जनवरी की रात 10:00 बजे थाने में गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 3 दिन बाद 5 जनवरी को पुलिस को सूचना मिली कि रूपारेल नदी में हाथ पैर बंधा शव पड़ा है सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची शव का पंचनामा कर आगे की कार्रवाई शुरू की शव मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की. यह मालूम हो गया कि वह सब रामकृष्ण चौहान का है सबसे पहले गांव के लोगों से पूछताछ की तो गांव वालों से पता चला कि मृतक राम कृष्ण के परिवार में कोई विवाद हुआ था.
पिता ने की बेटे की हत्या
पुलिस ने संदेह के आधार पर मृतक के घर की तलाशी ली तो शौचालय के पास दीवार से टंगी रस्सी मिली जिससे युवक के हाथ बांधे गए थे. नायलान की थैली मिली जिससे पैर बांधे गए थे. संदेह के आधार पर पिता भिमानसिह, माता जमना बाई और बहन कृष्णा बाई से पूछताछ की तो बहन टूट गई और बताया पिता ने भाई की हत्या कर मां के साथ मिलकर शव को नदी में फेंका था. पिता गांव मे ही माध्यमिक स्कूल के शिक्षक हैं.
क्या था मामला
बहन ने यह भी बताया कि भाई रामकृष्ण के गांव की अन्य लड़कियों से अवैध संबंध होने की बात पता चली. उसके पिता को बहुत बुरा लगा और उसके पिता को बहुत गुस्सा आया . उसके पिता रामकिशन को सुधारना चाहते थे. जैसे ही भाई रात 10:00 बजे खाना खाने घर आए. तो पिता ने अपने बेटे को समझाने के लिए डांटना शुरू किया तो बेटे का पिता से विवाद हो गया.इसके बाद पिता ने उसे थप्पड़ मारा जिसका उसने विरोध किया था. इस तरह दोनों पिता-पुत्र में विवाद ज्यादा बढ़ गया.धक्का-मुक्की में रामकृष्ण दीवार के कोने से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा. इसके बाद भी पिता ने गुस्से में उसके सीने पर जोर से लात मारी. रामकृष्ण ने मौके पर दम तोड़ दिया. अब तीनों ही घबरा गए. तीनों को कुछ समझ नहीं आ रहा था. यह क्या हो गया. वे उसे सुधारना चाहते थे. उसे मारना नहीं चाहते थे. लेकिन अब तो उन तीनों के हाथों हत्या हो चुकी थी. भले ही पिता ने लात मारी. उस वक्त गुनहगार वह तीनों ही थे. ऐसा अपराध हो गया था जो तीनों को जिंदगी भर तड़पाता रहेगा. इसे छुपाने के लिए तीनों ने रस्सी काटकर रामकृष्ण के हाथ बांधे. प्लास्टिक की थैली फाड़कर उसमें शव रख दिया. आधी रात को तीनों ने शव को नदी में फेंका दिया.
इसीलिए तो कहते हैं क्रोध की अग्नि बुद्धि को हर लेती है और उस वक्त जाने अनजाने अपराध हो जाता है. जो जिंदगी भर का दर्द दे जाता है.