Saurabh CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA
भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर ने कोहराम मचा दिया है. इससे पहले लोगों को कोरोना वायरस की दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट का सामना करना पड़ा था. वहीं, अब तीसरी लहर में लोगों को ओमिक्रॉन वैरिएंट का सामना करना पड़ रहा है. भारत के कई राज्यों में लोग कोरोना के नए वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि नया वैरिएंट डेल्टा से कम खतरनाक है. लेकिन डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन काफी ज्यादा संक्रामक है. ये दोनों ही वैरिएंट इतनी जल्दी आए हैं कि संक्रमित व्यक्ति को पता नहीं चल पा रहा है कि वह डेल्टा से संक्रमित है या ओमिक्रॉन से. आज हम आपको ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिससे आपको आसानी से पता चल जाएगा कि मरीज ओमिक्रॉन से संक्रमित हैं या डेल्टा से.
क्योटो यूनिवर्सिटी, हिरोशी निशिउरा में स्वास्थ्य और पर्यावरण विज्ञान के एक प्रोफेसर की स्टडी के अनुसार, डेल्टा वैरिएंट की बजाय ओमिक्रॉन कम खतरनाक है लेकिन यह काफी ज्यादा संक्रामक है. डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट 4.2 गुना अधिक तेजी के साथ फैल रहा है. उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैलता है और वैक्सीन व नैचुरल तरीके से बनी इम्यूनिटी को आसानी से चकमा भी दे सकता है.medRxiv साइट पर प्रकाशित एक फ्रेंच स्टडी में, यह पाया गया कि COVID का ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में 105 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है. अभी तक सामने आए डेटा के मुताबिक, यह देखा गया है कि ओमिक्रॉन ने बेहद कम समय में एक बड़ी आबादी को संक्रमिक कर दिया है.
डेल्टा से अलग है ओमिक्रॉन के लक्षण
ओमिक्रॉन वैरिएंट की शुरुआत के बाद से, वैज्ञानिक इसकी बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में भारी म्यूटेशन के अलावा, डॉक्टरों ने लक्षणों में भी कुछ बदलाव पाए हैं. शुरूआत में, जब दक्षिण अफ्रीका में पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता चला था तो दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ एंजेलिक कोएत्ज़ी ने कहा कि यह बीमारी हल्की थी और जो लोग संक्रमित थे, उनमें कोई गंभीर लक्षण नहीं थे. डॉ कोएत्ज़ी के अनुसार, ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्तियों ने गले में “खराश” और हल्के बुखार की शिकायत की थी, जो आसानी से ठीक हो गया था.
लक्षण देखकर कैसे पता लगाएं वैरिएंट?
डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट की तुलना करते हुए डॉ. एस.एन. अरविंदा, Consultant – Internal Medicine, Aster RV Hospital, JP Nagar, Bengaluru का कहना है कि COVID-19 वैरिएंट का प्रभाव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है. उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से डेल्टा के मुकाबले बहुत कम लोगों की सूंघने की क्षमता कम हुई है. डेल्टा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं. वहीं, ओमिक्रॉन के लक्षण काफी हल्के हैं साथ ही यह मरीजों के फेफड़ों को भी कम प्रभावित कर रहा है जिससे ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा नहीं पड़ रही है. डॉक्टर ने आगे कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में लोगों को सांस फूलने की समस्या का भी सामना नहीं करना पड़ रहा. हालांकि, उनका मानना है कि लक्षणों में अंतर को स्पष्ट रूप से जानने के लिए अधिक शोध और गहरी समझ की जरूरत होगी.
क्या कोविड-19 टेस्ट से पता चल सकता है कि आप कौन से वैरिएंट से संक्रमित हैं?
जब COVID-19 की बात आती है, तो एंटीजन और मॉलिक्यूलर टेस्ट दोनों ही शरीर में SARs-COV-2 वायरस की उपस्थिति की पहचान करने में मदद करते हैं, भले ही आपको कोई भी वैरिएंट हुआ हो. जबकि मॉलिक्यूलर टेस्ट, जिसे पीसीआर (पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) टेस्टिंग के रूप में भी जाना जाता है, उसका रिजल्ट आने में समय ज्यादा लगता है. जबकि एक एंटीजन टेस्ट से बहुत कम समय में कोविड स्थिति का पता चलता है. वर्तमान में RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कोई व्यक्ति COVID पॉजिटिव है या नेगेटिव.
उन्होंने आगे बताया कि ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट की जांच करने के लिए एक जेनेटिक सिक्वेंसिंग की जरूरत होती है, जिसमें 4 से 5 दिन का समय ल ग सकता है. टेस्ट के दौरान दी गई अनुवांशिक सामग्री की मदद से वैज्ञानिक इस बात का पता लगा सकते हैं कि कोई व्यक्ति ओमिक्रॉन से संक्रमित है या डेल्टा से.
जीनोम सिक्वेंसिंग की भूमिका
मणिपाल अस्पताल की इंफेक्शन डिसीज एक्सपर्ट डॉ. अंकिता बैद्य का कहना है कि ओमिक्रॉन और डेल्टा दोनों ही कोरोना वायरस के अलग-अलग रूप हैं. यदि हम जानना चाहते हैं कि कौन सा प्रकार हमें संक्रमित कर रहा है तो यह जीनोम लेवल पर होना चाहिए. डॉ. अंकिता बैद्य के मुताबिक, यदि S जीन पीसीआर पॉजिटिव आता है तो इससे डेल्टा संक्रमण की संभावना ज्यादा है.” हालांकि, डॉक्टर यह भी कहते हैं कि यदि S जीन पीसीआर नेगेटिव है तो यह जरूरी नहीं है कि यह ओमिक्रॉन या कोविड के किसी दूसरे प्रकार के वैरिएंट का संकेत हो.
इस टेस्टिंग किट से लग सकता है ओमिक्रॉन का पता
ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स द्वारा बनाई गई “ओमिश्योर” नाम की एक आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को मंजूरी दी है. इससे नए वैरिएंट का पता लगाया जा सकता है. ओमिश्योर टेस्ट किट की कीमत 250 रुपए तय की गई है.