उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की लड़कियां-महिलाएं के गायब होने का सिलसिला जारी है. इसके पीछे कई कारण देखने और सुनने को मिले हैं

Herdyes ballabh goswami for NEWS EXPRESS INDIA

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लड़कियों और महिलाओं के गायब होने का सिलसिला जारी है. कई लड़कियों और महिलाओं को पुलिस ने ढूंढ निकाला और कुछ की तलाश अभी भी चल रही है. पहाड़ों में इस तरह की घटनाएं क्यों लगातार बढ़ रही हैं, इसके पीछे कई कारण देखने और सुनने को मिले हैं. परिजनों से मामूली बातों पर नाराज होकर घर छोड़ना सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते किसी पुरुष के संपर्क में आकर घर छोड़ना इसके प्रमुख कारण हैं.

कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले की बात करें, तो पिछले एक साल में 121 लड़कियों और महिलाओं की गुमशुदगी दर्ज कराई गई, जिसमें से 114 को पुलिस ने सही सलामत बरामद कर परिजनों के सुपुर्द किया. पुलिस अन्य को ढूंढने के लिए प्रयासरत है.

अल्मोड़ा के एसएसपी देवेंद्र पींचा ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि जिले के किसी भी चौकी-थाने में अगर महिलाओं की गुमशुदगी को लेकर तहरीर मिलती है, तो पुलिस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उसी समय से एक्टिव हो जाती है. खासतौर पर जो नाबालिग लड़कियां होती हैं, पुलिस उस केस में तुरंत केस दर्ज करते हुए एक्शन लेती है. महिलाओं को खोजने के लिए टीम गठित की जाती है.पिछले एक साल में घर छोड़कर गईं ज्यादातर लड़कियों और महिलाओं को ढूंढ लिया गया है, शेष को खोजने पर पुलिस काम कर रही है. जल्द ही उन्हें भी ढूंढकर परिजनों से मिलवाया जाएगा.

मनोवैज्ञानिक डॉ प्रीति टम्टा ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि पहले के समय में पहाड़ में लड़कियों की शादी बालिग होते ही या 19-20 साल की उम्र में कर दी जाती थी, पर अब देखा जा रहा है कि ज्यादातर लड़कियों की शादी 25-26 साल से ज्यादा की उम्र में हो रही है. वे अपना ज्यादातर समय अपने घर में ही बिताती हैं और फिर शादी के बाद ससुराल में एडजस्ट करने में उन्हें मुश्किल हो रही है.ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाली नवविवाहिताएं सिचुएशन को हैंडल नहीं कर पाती हैं, जिस वजह से घर छोड़ने जैसे हालात बन जाते हैं. इसका कारण वह मानती हैं कि कम शिक्षित होना, सोशल मीडिया के जरिए दूसरी महिलाओं की चमक-दमक भरी जिंदगी देखना आदि में आकर वे ऐसा निर्णय लेती हैं.

अगर लड़कियों और महिलाओं को इस तरह की घटनाओं से बचाना है, तो समय-समय पर उनकी काउंसलिंग होनी चाहिए. इसके अलावा परिवार वाले उनसे बात करते रहें, उनकी समस्याओं को सुनें, आपस में हर बात साझा करें और उनकी जायज समस्याओं को हल करने की कोशिश करें. माता-पिता नाबालिग लड़कियों की गतिविधियों पर खासतौर पर नजर रखें.

गौरतलब है कि हाल ही में चमोली जिले में अलग-अलग जगहों की दो महिलाएं रुपये-जेवर लेकर घर से भाग निकलीं. दोनों के दो-दो बच्चे हैं. वहीं नैनीताल जिले की एक महिला पति और तीन बच्चों को छोड़कर गायब हो गई. करीब एक महीने बाद वह उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से बरामद की गई. महिला प्रेम प्रसंग के चलते घर से भागी थी. आजमगढ़ के 20 साल के लड़के से उसे प्यार हो गया था.वह बीबीए का छात्र था. महिला को उसी के घर से बरामद किया गया. दोनों की दोस्ती इंस्टाग्राम पर हुई थी. पहाड़ों से गायब होने वाली ज्यादातर लड़कियों और महिलाओं को हल्द्वानी, देहरादून, रुद्रपुर, दिल्ली समेत महानगरों से बरामद किया गया है.

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