चूनी भाई ने पुत्र पीयूष को लेकर लिखा,”तुम्हारी वजह से मैं और मेरा बेटा संजय रोड पर आ गए हैं. वह न फोन पर बात करता था और न ही पैसे से मदद… कनाडा जाकर घर को भूला बेटा, माता-पिता ने वियोग में ऐसा कदम उठाया ?

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वियोग किसी का भी हो बड़ा दुखदाई होता है वियोग एक ऐसा धीमा जहर जो धीरे-धीरे शरीर को खा जाता है. दिमाग की कार्य क्षमता घटा देता है व्यक्ति दुख के भंवर में फंस जाता है इसी तरह का एक मामला गुजरात के सूरत से सामने आया है. कभी सूरत में रहकर फाइनेंस का कारोबार करने वाला पुत्र कर्ज में डूब गया था. पिता ने सगे संबंधियों से कर्ज लेकर बेटे का कर्ज उतार दिया था. माता-पिता ने बेटा को कनाडा भेज दिया था ताकि वह अच्छी तरह से कमाई कर सके. कनाडा जाते ही पुत्र ने अपने माता-पिता से मुंह मोड़ लिया. वह ठीक से माता-पिता से कभी बातचीत भी नहीं करता. इस बात का गम हमेशा माता-पिता को रहा करता था और इसी पुत्र के वियोग में माता-पिता ने अपने घर में पंखे के हुक से लटककर खुदकुशी कर ली.

खुदकुशी करने से पहले माता-पिता अपने पुत्र के नाम से एक सुसाइड नोट भी छोड़ गए और अपनी दर्द भरी दास्तां को बयान कर गए. पुलिस ने इस मामले में मामला दर्ज कर जांच शुरू की है.

सूरत के सारथना पुलिस थाना इलाके का यह मामला है. मीरा एवेन्यू नामक बिल्डिंग में रह रहे चूनी भाई गेडिया (66 साल) और उनकी पत्नी मुक्ता बेन गेडिया (64 साल) ने बुधवार को अपने घर के कमरे में पंख के हुक से रस्सी बांधकर फांसी लगा ली.

दरअसल, चूनी भाई का पुत्र पीयूष 4 वर्ष पहले फाइनेंस के धंधे में नुकसान कर बैठा था. 40 लाख रुपए का कर्जा उसके ऊपर हो गया था. पिता चूनी भाई ने रिश्तेदारों के पास से रुपए लाकर पीयूष के का कर्ज चुकाया था. उसके बाद पीयूष कनाडा चला गया था और वहां पर स्थाई हो गया था. पुत्र का कर्ज चुकाकर खुद पिता भी कर्जदार हो गए थे. कनाडा में स्थाई होने के बाद पुत्र पीयूष अपने पिता को जरा भी कोई आर्थिक रूप से मदद नहीं कर रहा था और न ही उनसे ढंग से फोन पर बातचीत कर रहा था. बेटे के इस व्यवहार से पिता चूनी भाई और माता मुक्ता बेन दोनों ही काफी चिंतित रहते थे. पुत्र वियोग हद से ज्यादा बढ़ गया. एक तरफ कर्ज का बोझ और दूसरी तरफ अपने बेटे की दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे बस यही वजह थी कि दोनों ने पुत्र वियोग में प्राण त्याग देना उचित समझा.

अंतिम क्रिया में खर्च न करने की अपील 

जीवन लीला समाप्त करने से पहले चूनी भाई ने पुत्र के नाम चार पन्ने का सुसाइड नोट भी लिखा. इसमें बुजुर्ग ने वेदना व्यक्त करते हुए कनाडा में रहने वाले पुत्र पीयूष समेत खुद के साथ रहने वाले पुत्र संजय और पुत्रवधू का आभार व्यक्त किया. साथ ही मरने के बाद अंतिम क्रिया में खर्च न करने की अपील की.

इसलिए पत्नी के साथ खत्म कर ली जिंदगी

पुत्र और पुत्र वधू के दुर्व्यवहार का भी उल्लेख अपने सुसाइड नोट में किया है. चूनी भाई ने सुसाइड नोट में इस बात का भी जिक्र किया है कि वह 40 लाख के कर्ज में डूब चुके हैं. वह कर्ज चुका नहीं सकते हैं. उम्र 65 साल हो चुकी है तो अभी काम भी नहीं सकते. कोई काम धंधा भी नहीं है जिसके चलते मैं ऐसा कदम उठा रहे हैं.

इस तरह का समय मेरे पुत्र पीयूष के कारण आया है, क्योंकि पियूष के ऊपर कर्ज हो गया था और उसी कर्ज को चुकाने के लिए मुझे मैंने गहने और बचत सब उसको दे दी थी. उसके बाद पीयूष ने कहा था- मुझे ब्याज पर रुपये दिला दो. मैं वापस लौटा दूंगा. तो मैंने 35 लाख रुपए ब्याज से लाकर दिए थे.

‘एक बार भी कॉल नहीं किया’

पीयूष पिछले 4 साल से कनाडा में रह रहा है. उसने इस दौरान मुझे एक बार भी कॉल नहीं किया. मैंने पीयूष को दो बार वीडियो कॉल किया था. लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. मेरे ऊपर लेनदार कोई दबाव नहीं है. मैं अपने मित्रों और सगे संबंधियों का ही कर्जदार हूं. लेकिन अब मुझे शर्म आ रही है. मुझे चिंता हो रही है. मैंने सभी पैसे उन्हें दे दिए हैं. अब मैं उन्हें पैसे नहीं दे सकता हूं, इसलिए मैं खुदकुशी कर रहा हूं. जिनके भी रुपए हैं, उनको परेशान मत करना. मुझे किसी ने कोई भी धमकी नहीं दी है और न ही मेरे ऊपर कोई वसूली की है.

तुमने हमारे साथ दगा किया’

चार पन्ने के सुसाइड नोट में चूनी भाई ने कनाडा में रहने वाले पुत्र पीयूष को लेकर लिखा, ”तुम्हारी वजह से मैं और मेरा बेटा संजय रोड पर आ गए हैं. तुमने हमारे साथ दगा किया है. ठीक है. ऊपर वाले को शायद यही मंजूर होगा. ज्यादा न कहते हुए हमसे कोई भूल हुई हो तो दो हाथ जोड़कर माफी मांग रहा हूं.”

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