उत्तराखंड में 3 सुरंगों का निर्माण होने पर 490 किमी की दूरी को कम होकर 57 किलोमीटर हो जाएगी.

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चमोली में भारत-चीन सीमा पर सेना की पहुंच आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड में बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।

इसी कड़ी में राज्य की ओर से पिथौरागढ़ और चमोली जिले को सुरंग मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। योजना के तहत पिथौरागढ़ के जौलिंगकांग से चमोली के लप्थल के बीच 57 किमी की तीन सुरंगों और 20 किमी सड़क मार्ग का निर्माण किया जाएगा।

परियोजना के परवान चढ़ने से न सिर्फ सेना बल्कि स्थानीय निवासियों को भी फायदा होगा। वर्तमान में जौलिंगकांग से लप्थल की दूरी 490 किलोमीटर है। सुरंग बनने पर यह दूरी घटकर 42 किमी रह जाएगी। हाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाए जाने का प्रस्ताव दिया था।

प्रोजेक्ट के तहत पहली सुरंग जौलिंगकांग में बेदांग से गो एवं सिपु तक बनाई जाएगी, जो कि 5 किलोमीटर लंबी होगी। साथ ही 20 किलोमीटर लंबी सड़क का भी निर्माण किया जाएगा। यह जौलिंगकांग एवं बेदांग की दूरी 161 किमी कम कर देगा।

दूसरी सुरंग सिपु से तोला के बीच बनेगी, जो कि 22 किलोमीटर लंबी होगी।

इसी तरह तीसरी सुरंग मिलम से लप्थल के बीच बनाई जाएगी, जो कि 30 किमी लंबी होगी। इससे पिथौरागढ़ की जोहार घाटी, दारमा वैली और चमोली का लप्थल सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा।

बता दें कि वर्तमान में ऐसा कोई सीधा मार्ग नहीं है जो जौलिंगकांग आईटीबीपी पोस्ट को चमोली के लप्थल में आईटीबीपी पोस्ट से जोड़ता हो। ये दोनों पोस्टें महत्वपूर्ण हैं और चीन सीमा से सटी हैं।

अगर इन दोनों क्षेत्रों के बीच 57 किमी की सुरंगों का निर्माण हुआ तो 490 किमी की दूरी को कम किया जा सकता है। इससे सेना, एसएसबी और आईटीबीपी की राह आसान होगी। साथ ही क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा और पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।

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