देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को उत्तराखंड की भाजपा सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। यूसीसी का ड्राफ्ट के लिए गठित कमेटी अपना काम लगभग 90 प्रतिशत पूरा कर चुकी है।

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देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर चल रहे विमर्श के बीच उत्तराखंड की भाजपा सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी अपना काम लगभग 90 प्रतिशत पूरा कर चुकी है। जैसे संकेत मिल रहे हैं, उससे लगता है कि कमेटी 30 जून तक यह ड्राफ्ट सरकार को सौंप देगी।

परीक्षण कर इसे कानूनी स्वरूप देने के बाद सरकार राज्य में यूसीसी लागू करेगी। उत्तराखंड की इस पहल के विशेष मायने भी हैं। यह केंद्र के साथ ही अन्य राज्यों के लिए माडल बनेगी। निकट भविष्य में चुनावी राज्यों में समान नागरिक संहिता को लेकर भाजपा उत्तराखंड की पहल के आधार पर आगे की रणनीति अमल में ला सकती है।

भाजपा ने पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के दौरान वायदा किया था कि वह राज्य में यूसीसी लागू करेगी। दोबारा पार्टी की सरकार बनने और मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी को फिर से कमान मिलने के बाद सरकार व संगठन ने इस दिशा में कदम बढ़ाने में देर नहीं लगाई। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने को सरकार ने 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में कमेटी गठित की।

कमेटी को गत वर्ष नवंबर में छह माह और फिर इसी माह चार माह का समय विस्तार दिया गया। कमेटी अब तक आनलाइन, आफलाइन के साथ ही विभिन्न वर्गों, धर्मों के प्रमुखों, राजनीतिक व सामाजिक संगठन, सीमांत क्षेत्रों में संवाद के माध्यम से ढाई लाख से अधिक सुझाव ले चुकी है। इन सुझावों के आधार पर कमेटी अब ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटी है। बताया जा रहा है कि लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।

हाल में देहरादून में जनता और राजनीतिक दलों के साथ संवाद के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कमेटी अपने कार्य में तेजी से जुटी है। साथ ही यह संकेत भी दिए कि कमेटी 30 जून तक ड्राफ्ट सरकार को सौंप सकती है। साफ है कि यदि आवश्यक हुआ तो कुछ संशोधन के साथ विधानसभा से अधिनियम पारित कराने के बाद सरकार यूसीसी लागू करेगी। ऐसे में देश की नजर उत्तराखंड पर टिकी है।

माना जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं का समावेश होगा और यह एक माडल के रूप में सामने आएगी। इससे केंद्र के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी राह आसान होगी। अगर उत्तराखंड में लागू होने वाले इस कानून को अदालत में चुनौती मिलती है तो उस पर न्यायपालिका का क्या रुख रहेगा, यह केंद्र के लिए महत्वपूर्ण होगा। यही नहीं, केंद्र एवं प्रदेश में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के रुख का विश्लेषण भी केंद्र उत्तराखंड से कर सकता है।

इसके साथ ही भाजपा के लिए यूसीसी का विषय राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बड़े महत्व वाला है। उत्तराखंड में यूसीसी की कसरत के बाद गुजरात सरकार ने भी इसी तरह की कमेटी गठित की। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने यूसीसी का वायदा किया। यह बात अलग है कि हिमाचल की सत्ता उसके हाथ से खिसक गई। बदली परिस्थितियों में यूसीसी की प्रासंगिकता के दृष्टिगत भाजपा अब आने वाले दिनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में यूसीसी का मुद्दा उठा सकती है। इसके लिए आधार उत्तराखंड की पहल को बनाया जाएगा।

यूसीसी को लेकर सरकार पूरी गंभीरता से कदम उठा रही है। ड्राफ्ट कमेटी अपना काम तेजी से कर रही है। उम्मीद है कमेटी शीघ्र ही सरकार को ड्राफ्ट सौंपेगी। इसके बाद सरकार कानून बनाकर राज्य में यूसीसी लागू करेगी। यह पहल देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर बनेगी।

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