जोशीमठ आपदा के बाद अब एमडीडीए ने बिल्डिंग बायलॉज में किया बदलाव:भवन उपविधि को सख्त और आम आदमी के लिए सरल बनाया जाएगा।

VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

 

प्रदेश में भवन उपविधि में नए सिरे से संशोधन हो सकता है। आवास विभाग की आगामी बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। जानकारी के मुताबिक, जोशीमठ आपदा के बाद अब भवन उपविधि को सख्त और आम आदमी के लिए सरल बनाया जाएगा।

एमडीडीए ने बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव का जो ड्राफ्ट पिछले दिनों जारी किया था, उस पर आर्किटेक्ट से लेकर इंजीनियरों, ड्राफ्ट्समैनों और डिप्लोमा होल्डर्स ने आपत्ति जताई थी। इसमें ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए 1000 के बजाए 2000 वर्गमीटर जमीन का नियम प्रस्तावित किया गया था। इंजीनियरों व ड्राफ्टमैनों का कहना था कि इस बदलाव से उनका रोजगार छिन जाएगा।

उन्होंने मांग की थी कि ड्राफ्ट्समैनों और डिप्लोमा होल्डर्स को भवन मानचित्र स्वीकृत कराने की सीमा 100 वर्ग मीटर की बजाए पूर्व की भांति 250 वर्ग मीटर की जाए। व्यवसायिक मानचित्र बनाने की भी स्वीकृति प्रदान की जाए। इंजीनियरों को मानचित्र स्वीकृत कराने की सीमा को 500 वर्ग मीटर किया जा रहा है। इसे पहले की तरह दो हेक्टेयर ही किया जाए।

तीन मंजिल से अधिक ऊंचा भवन बनाने के लिए चुकानी होगी बड़ी फीस
मैदानी क्षेत्रों में एकल आवास के लिए न्यूनतम प्लॉट एरिया बढ़ाकर 50 मीटर किया जा रहा है, इसे 30 वर्ग मीटर ही रखा जाए। नाले से दूरी पहले ही तरह 5 मीटर रखी जाए। मैदानी क्षेत्रों में ओपन पार्किंग 23 वर्ग मीटर के स्थान पर 13.75 वर्ग मीटर की जाए।

250 वर्ग मीटर के मल्टीपल यूनिट में पार्श्व सैटबैक दो मीटर तथा साइड सैटबैक 1.2 मीटर किया जाए। इस पर उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन का कहना है कि संशोधन का नया प्रस्ताव प्रॉपर्टी कारोबार के लिए घातक है। इससे बहुमंजिला इमारत बना पाना संभव नहीं होगा। तीन मंजिल से अधिक ऊंचा भवन बनाने के लिए प्राधिकरण को बड़ी फीस चुकानी होगी, जो आम आदमी के लिए संभव नहीं होगा।

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