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हरिद्वार में शांतिकुंज एक विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान है। यहाँ वर्षभर आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों का भी संचालन होता है। यहाँ देश विदेश के साधक अपनी आंतरिक ऊर्जा के जागरण के लिए तप साधना करते हैं,तो वहीं अनेकानेक लोग अपने व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने के लिए नैतिक प्रशिक्षण शिविर, व्यक्तित्व परिष्कार शिविर के साथ ही वैदिक कर्मकाण्ड, संगीत आदि विद्या भी सीखते हैं।
इसी शृंखला में 12 अप्रैल को 15 दिवसीय प्रवास में रसिया से सरगेई, नतालिया, ऐफगेनी, इगोर, रादा, अर्त्योम, अहिल्या, सेनिया आदि गायत्री तीर्थ पहुंचे और रसियन टीम देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के मार्गदर्शन एवं डॉ. ज्ञानेश्वर मिश्र के संयोजन में साधना, वैदिक कर्मकाण्ड एवं भारतीय सुगम संगीत का प्रशिक्षण लिया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए विश्वभर के लोग अपना कदम बढ़ा रहे हैं।
रसिया से आये सरगेई, अहिल्या, नतालिया का कहना है कि सन् 2012 अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख आदरणीय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी रसिया आये थे, तब हमने अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ उनके कार्यक्रम में भाग लिया था, उस समय उन्होंने जो कुछ कहा और बताया, उससे हम लोग काफी प्रभावित हुए। उनसे गायत्री महामंत्र की दीक्षा ली और गायत्री साधना करने लगे। रसियन टीम ने कहा कि वास्तव में प्राचीन संस्कृति भारतीय संस्कृति है। यहाँ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना है। इससे ही सेवा, सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है। हम लोग डॉ. प्रणव पण्ड्या जी के आमंत्रण पर शांतिकुंज आये हैं और हमने यहाँ भारतीय संस्कृति को जानने के लिए साधना पद्धति, वैदिक कर्मकाण्ड का अध्ययन, किया इसके अलावा भारतीय सुगम संगीत का अभ्यास भी किया। इसमें हमें बहुत आनंद आया। उन्होंने बताया कि शांतिकुंज से मिली मानवता की सीख, ज्ञान एवं विद्या को रसिया में जन- जन तक पहुंचायेंगे।