यूपी के बरेली का खूबसूरत गांव भरतौल, जहां अनेकता में एकता की है मिसाल.

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कभी-कभी अलग-अलग प्रदेशों में कुछ छोटी सोच वाले लोग क्षेत्रवाद की बात करते हैं जैसे यह हमारा प्रदेश यह व्यक्ति दूसरे प्रदेश का है. जबकि सारा हिंदुस्तान एक है कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रदेश में निवास कर सकता है. जाति धर्म क्षेत्र के आधार पर हम हिंदुस्तान को  नहीं बांट सकते हैं. हिंदुस्तान का संविधान सभी को समान अधिकार देता है.

अनेकता में एकता ही हमारे गणतंत्र की विशेषता है। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर से सटा गांव भरतौल इसी अवधारणा को साकार कर रहा है। यह गांव बरेली में तैनात रहे सैनिकों की पहली पसंद है। सेवानिवृत्त होने के बाद वे परिवार सहित यहीं बस गए। यहां कई प्रदेश और 30 जातियों के लोग रहते हैं।

कैंट थाना क्षेत्र के गांव भरतौल में लंबे समय से एक ही परिवार के पास प्रधानी रही है। रीतराम 2005 में यहां प्रधान चुने गए और इस समय उनकी पत्नी प्रवेश प्रधान हैं। गांव की आबादी करीब 7500 है, जिसमें 4694 वोटर हैं। प्रधान के मुताबिक गांव में करीब एक हजार घर हैं, जिनमें 1600 परिवार रहते हैं। इनमें भी करीब 400 घर सेवानिवृत्त सैनकिों के हैं।

पूर्व सैनिक परिवारों की बात करें तो यहां उत्तराखंड के लोग ज्यादा संख्या में हैं। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, असम और पंजाब आदि प्रांतों के लोग यहां परिवार के साथ बसे हैं। यहां छठ पूजा से लेकर लोहड़ी व ओणम आदि सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। वैवाहिक व अन्य आयोजनों में भी विविधता दिखती है। लोग पड़ोसियों से करीबी के जरिये उनके रीति-रिवाजों, खानपान व सांस्कृतिक गतिविधियों की पूरी जानकारी रखते हैं।

बाशिंदे बोले-एकदूसरे का सम्मान करते हैं.बनवसा उत्तराखंड के लक्ष्मण सिंह खड़ायत व पिथौरागढ़ के खीम सिंह पंचायत घर में ही मिल गए। दोनों ही परिवार के साथ भरतौल में रहते हैं। बताया कि सेना की नौकरी के दौरान ही यहां बसने का फैसला कर लिया था। खीम सिंह भरतौल पूर्व सैनिक कल्याण समिति के सचिव के नाते पंचायत की गतिविधियों में प्रधान की मदद भी करते हैं। पश्चिम बंगाल के प्रदीप देवनाथ 1998 से यहां बसे हैं। बिहार निवासी सतीश कुमार ने बताया कि उनके पिता ने नौकरी के दौरान 22 साल पहले यहां मकान बनवाया था। प्रधान और ग्रामीणों का इतना सहयोग रहता है कि वह अपने मूल घर लौटने के बारे में कभी सोचते ही नहीं। सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।

राष्ट्रपति ने भी किया था प्रधान को सम्मानित
भरतौल गांव इतना साफ और सुंदर है कि प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर इसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। रीतराम बताते हैं कि 2007 में प्रधान के तौर पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर निर्मल ग्राम पंचायत का पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लिया था। इस ग्राम पंचायत को पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार भी मिला है। पिछले साल गांव को मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार मिला था। सभी पुरस्कारों में करीब दस लाख रुपये की राशि मिली जो ग्राम सचिवालय व गांव को सुंदर बनाने में लगा दी गई। गांव की सड़कें साफ हैं। हर वक्त बिजली व पानी की सुविधा है।

गांव में नेता और अफसर भी निवास करते हैं .बिथरी के पूर्व विधायक भाजपा नेता पप्पू भरतौल इसी गांव के मूल निवासी हैं। अपने नाम के आगे गांव का नाम लगाकर उन्होंने भी इस गांव को राजनैतिक पहचान देने का काम किया है। प्रधान ने बताया कि गांव निवासी राकेश चंद्रा पंजाब पुलिस में एडीजी हैं। गांव निवासी त्रिभुवन पायलट हैं तो अतुल चिकित्सक हैं। यहां के कई और युवा सरकारी नौकरियों में प्रतिष्ठित पदों पर हैं।

 

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