पटियाला जेल में नवजोत सिंह सिद्धू( कैदी नंबर 241383 ) :क्लर्क का काम, इतना होगा वेतन: क्रिकेटर-कमेंटेटर-कॉमेडी शो- राजनीति और जेल तक पहुंचने की पढ़िए पूरी कहानी.

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पंजाब की पटियाला सेंट्रल जेल में बंद पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू बतौर क्लर्क के रूप में काम करेंगे. जानकारी के अनुसार कैदी नंबर 241383 नवजोत सिंह सिद्धू को बैरक नंबर 7 में रखा गया है. उन्हें क्लर्क का काम दिया गया है. हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते सिद्धू अपनी सेल से काम करेंगे. फाइलें उनके बैरक में भेजी जाएंगी. पहले तीन महीने उन्हें बिना वेतन के प्रशिक्षित किया जाएग और बाद में प्रतिदिन 30-90 रुपये का भुगतान किया जाएगा. ये पैसे सीधे उनके खाते में भेजे जाएंगे. जेल में बंद कैदी दिन में आठ घंटे काम कर सकते हैं.

क्रिकेटर-कमेंटेटर-कॉमेडी शो से लेकर राजनीति का सफर

नवजोत सिंह सिद्धू 1988 के जिस मामले में दोषी पाए गए हैं। उस वक्त वह भारत के लिए क्रिकेट खेला करते थे। वह 1983 से लेकर 1999 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। क्रिकेट से कमेंटेटर और फिर कॉमेडी और दूसरे टेलीविजन शो में भी उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान वह राजनीति में भी शामिल हो गए। सिद्धू 2004 से 2016 तक भाजपा के साथ रहे और इस दौरान 2004 और 2009 में अमृतसर से सांसद भी रहे। लेकिन 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। और बाद में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने। लेकिन 2022 के विधानसभा  चुनाव में कांग्रेस और खुद की चुनावी हार के बाद वह अध्यक्ष पद से हटा दिए गए।

जेल अधिकारियों ने कहा कि 58 वर्षीय सिद्धू को सिखाया जाएगा कि अदालत के लंबे फैसलों को कैसे संक्षिप्त किया जाए और जेल रिकॉर्ड कैसे संकलित किया जाए.

सिद्धू को ‘रोड रेज’ मामले में एक साल की सजा सुनाई गई है. जिसके बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया. पहले दिन उन्होंने जेल में खाना नहीं खाया था. वहीं तबीयत सही नहीं होने के कारण सिद्धू को मेडिकल जांच के लिए पटियाला के राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया था.

डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा सुझाए गए सात-भोजन आहार चार्ट

सिद्धू के वकील के अनुसार वकील के वे गेहूं, चीनी, मैदा और कुछ अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं कर सकते. वे जामुन, पपीता, अमरूद, डबल टोंड दूध और खाद्य पदार्थ ले सकते हैं. जिनमें फाइबर और कार्बोहाइड्रेट नहीं होते हैं. ऐसे में जेल का खाना वो नहीं खा सकते हैं. वहीं अदालत ने डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा सुझाए गए सात-भोजन आहार चार्ट को मंजूरी दे है. ये खाना अब उन्हें जेल में दिया जाएगा.

गौरतलब है कि 1988 रोड रेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के पटियाला कोर्ट में सरेंडर किया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.रोड रेज की घटना में 65 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 34 साल पुराने रोड रेज मामले में  एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन मामले में बरी करते हुए हाई कोर्ट द्वारा दी गई 3 साल की सजा को एक हजार रुपए के जुर्माने में बदल दिया था। लेकिन कोर्ट ने सजा के मुद्दे पर मृतक के परिवारजनों की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर एक साल के कारावास की सजा सुनाई.

सजा सुनाई है, वह करीब 34 साल पुराना मामला है।

जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है, वह करीब 34 साल पुराना मामला है। जब सिद्धू की 27 दिसंबर 1998 को पटियाला शहर में 65 साल के गुरनाम सिंह के साथ हाथापाई हुई थी। उस वक्त सिद्धू अपने एक साथी के साथ शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास  सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में सवार थे। उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए अपनी कार से बैंक जा रहे थे। जब वे चौराहे पर पहुंचे  कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में देख, उसमें सवार सिद्धू और उनके साथी को जिप्सी हटाने के लिए कहा। इस बात पर दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई। इस हाथापाई में गुरनाम सिंह को इतनी चोटें आई को उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां उनकी मौत हो गई।

क्रिकेटर-कमेंटेटर-कॉमेडी शो से लेकर राजनीति का सफरनवजोत सिंह सिद्धू 1988 के जिस मामले में दोषी पाए गए हैं। उस वक्त वह भारत के लिए क्रिकेट खेला करते थे। वह 1983 से लेकर 1999 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। क्रिकेट से कमेंटेटर और फिर कॉमेडी और दूसरे टेलीविजन शो में भी उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान वह राजनीति में भी शामिल हो गए। सिद्धू 2004 से 2016 तक भाजपा के साथ रहे और इस दौरान 2004 और 2009 में अमृतसर से सांसद भी रहे। लेकिन 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। और बाद में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने। लेकिन 2022 के विधानसभा  चुनाव में कांग्रेस और खुद की चुनावी हार के बाद गो अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.

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