भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा:पीएम मोदी ने बधाई दी:निखत के मुक्केबाज बनने की कहानी.पढ़ें पूरी खबर.

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भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने तुर्की में हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को मुक्केबाज निकहत जरीन को महिला विश्व चैम्पियनशिप  (52 किलो) वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है। जरीन ने तुर्की के इस्तांबुल में महिला विश्व चैंपियनशिप के फ्लाइवेट (52 किग्रा) वर्ग के एकतरफा फाइनल में थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।

” पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि हमारे मुक्केबाजों ने हमें गौरवान्वित किया है। निकहत जरीन को स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई। मैं मनीषा मोन और परवीन हुड्डा को भी कांस्य पदक जीतने पर बधाई देता हूं।”

गौरतलब है कि इस जीत के साथ 2019 एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।

इससे पहले छह बार की चैंपियन एमसी मैरीकोम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), विश्व खिताब जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकी है, सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेखा केसी इससे पहले विश्व खिताब जीत चुकी हैं। जरीन के अलावा मनीषा मोन (57 किलो) और परवीन हुड्डा (63 किलो) ने कांस्य पदक जीते । भारत में महिला मुक्केबाजी का मतलब 6 बार की वर्ल्ड चैम्पियन एमसी मैरीकॉम हैं. लेकिन, निखत ने अब इस लिस्ट में अपना नाम बना लिया है.

निखत के मुक्केबाज बनने की कहानी 

निखत के मुक्केबाज बनने की कहानी भी दिलचस्प है. पिता मोहम्मद जमील खुद फुटबॉल और क्रिकेट खेलते थे, वो चाहते थे कि उनकी 4 बेटियों में से कोई एक खिलाड़ी बने. उन्होंने अपने तीसरे नंबर की बेटी निखत के लिए एथलेटिक्स को चुना और कम उम्र में ही स्टेट चैम्पियन बन निखत ने भी पिता के इस फैसले को सही साबित किया.

लेकिन, चाचा की सलाह पर निखत बॉक्सिंग रिंग में उतरीं और 14 साल की उम्र में ही वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैम्पियन बनीं और इसके बाद एक-एक कर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गईं. विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना इस सफर का सबसे अहम पड़ाव है.

मैरीकॉम से ट्रायल को लेकर निखत का हुआ था विवाद
जरीन ने इस स्वर्णिम उपलब्धि से दो साल पहले तत्कालीन खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर ओलंपिक क्वालीफायर के लिए ‘निष्पक्ष ट्रायल’ करवाने का आग्रह किया था. इस कारण जरीन को सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल’ किया गया था, जबकि एमसी मैरीकॉम ने कड़े शब्दों में पूछा था ‘‘कौन निखत जरीन?’’ जरीन इसके बाद ट्रायल में मैरीकॉम से हार गईं थीं, जिससे वह टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं थीं.

हालांकि, इसके लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. कंधे की चोट के कारण निखत 2017 में बॉक्सिंग रिंग में नहीं उतर पाईं थीं. लेकिन, 5 साल बाद वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद वो मायूसी और दर्द दोनों दूर हो गया.

जरीन ने बाद में संवाददाताओं से कहा, “इन दो वर्षों में मैंने केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया और मेरे खेल में जो भी कमियां थीं, उनमें सुधार करने की कोशिश की. मैंने उन सभी पक्षों पर काम किया जिन पर मुझे काम करने की जरूरत थी और खुद को मजबूत बनाया. मैंने अपने करियर में जिन बाधाओं का सामना किया है, उन्होंने मुझे मजबूत बनाया. मैं इन सबके बाद मानसिक रूप से मजबूत बनी हूं. मेरा मानना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे लड़ना है और अपना सर्वश्रेष्ठ देना है.”

यह जीत देश की हर बेटी को प्रेरणा देगी: पिता
निखत के पिता मोहम्मद जमील ने बताया, “विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना ऐसी चीज है, जो मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ देश की हर लड़की को जिंदगी में बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी. निखत ने खुद ही अपना रास्ता तैयार किया है.”

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