मुंडका में भयावह दृश्य:चार मंजिला बिल्डिंग धू-धू कर जल रही थी:अपनों के लिए दहाड़ें मार रहे थे लोग. जान बचाने के लिए खिड़कियों से कूदे:आग ने कुल 27 जिंदगियां लील लीं। दिल दहलाने देने वाली खबर.

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दिल्ली के मुंडका(Delhi Mundka Fire) में एक बिल्डिंग में हुए आग हादसे के बाद कई दिल दहलाने वाली कहानियां सामने आई हैं। शुक्रवार शाम(13 मई) करीब पौने 5 बजे एक चार मंजिला इमारत में लगी आग में जलकर मरे 27 लोगों में से कइयों की शिनाख्त तक नहीं हो पा रही है। घटना के बाद अपनों को पागलों की तरह खोजते रहे लोग।

मुंडका 4 मंजिला इमारत में आग लगने के बाद दिल दहला देने वाले दृश्यों के बीच लोग अपने परिजनों के लिए दुआएं कर रहे थे। जैसे ही आग लगने का पता चला, लोग दूर-दूर से अपने रिश्तेदारों-दोस्तों का हाल-चाल लेने मौके पर पहुंचने लगे। वो मोबाइल में रिश्तेदारों की तस्वीर लोगों को दिखा रहे थे और पूछ रहे थे कि इन्हें देखा क्या, कैसे हैं ये? अफरा-तफरी के इस माहौल में मृतकों को निकाला जा रहा था और उनकी पहचान होते ही लोग दहाड़ खा रहे थे। एक बिल्डिंग में लगी आग ने कुल 27 जिंदगियां लील लीं। कई लोग जान बचाने के लिए खिड़कियों से कूदते दिखे तो कई लोग रस्सियों के सहारे इमारत से नीचे आते दिखाई दिए।

मौके पर सब सन्न, किसी के पास कोई जवाब नहीं
सुनीता अपनी रिश्तेदार सोनम को ढूंढ रही थीं। उन्होंने कहा कि वो सुरक्षा व्यवस्था के कारण तुरंत बिल्डिंग के पास भी नहीं पहुंच सकी थीं। दूसरे कई लोगों ने आरोप लगाया कि वो अपने परिजनों के बारे में पुलिस वालों से पूछते रहे, लेकिन कुछ जवाब नहीं मिलता।

उससे कहा कि कूद जाओ, पर उसने नहीं किया

बिजनेसमैन इस्माइल खान की पीड़ा- इस्माइल खान अपनी बहन मुस्कान (21) की तलाश कर रहे थे, जो एक सेल्स एग्जीक्यूटिव थी। इस्माइल ने कहा “उसने मुझे लगभग 4.30 बजे फोन किया और रो रही थी।इस्माइल खान ने अपनी बहन को तब जिंदा देखा था जब आग लगी थी। फिर वह दौड़ा-भागा उसे बचाने की कोशिश में जुट गया। इस्माइल ने कहा, ‘मैंने उससे शाम 5 बजे बात की और फायर इंजिन ट्रैफिक जाम में फंसा था। मैंने उसे उसकी दोस्त के साथ खड़ा देखा था.मैं मदद के लिए दौड़ा। मैंने उसे कूदने के लिए कहा और भरोसा दिलाया कि मैं उसे पकड़ लूंगा। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।”इस्माइल ने अपनी बहन को बचाने बिल्डिंग के अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन कांच का एक स्लैब उस पर गिर गया। इस्माइल ने बताया कि उसके बाद मुस्कान का फोन बंद हो गया। पुलिस ने इस्माइल को बताया 27 शव बरामद कर लिए गए हैं। इस्माइल ने पूछा कि क्या उनमें उसकी बहन भी है? लेकिन अभी जवाब नहीं मिला।उसने कहा, ‘मैंने बिल्डिंग फांद करके उस तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन मैं घायल हो गया। हमने हाल ही में अपने पिता को खोया था और लगा कि अगर कुछ हो गया तो मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा। मैं सच में उसे बचाना चाहता था।’

मुझे नहीं मालूम कि अब मेरी बहन कहां है?
अपनी बहन को ढूंढ रहे अजय दक्ष( Ajay Daksh) की जुबानी- अजय मुंडका में अपनी बहन के कार्यालय वाली बिल्डिंग में लगी आग के दौरान रेस्क्यू में लगी टीम को क्रेन लगाते देखकर रो रहे थे। कांप रहे थे। वे पांच घंटे तक अपनी बहन की तलाश में बदहवास यहां-वहां भटकते रहे। कभी इमारत के पास आकर तलाशते, तो कभी अस्पताल भागते। अजय ने कहा-““मुझे लोगों से पता चला कि जिस कार्यालय में मेरी बहन काम करती है, उसमें आग लग गई है। मैं फौरन घटनास्थल पहुंचा। आग की लपटों और बचाव अभियान को देख रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी बहन कहां है।

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘हम अपनी साली को ढूंढने एक से दूसरे अस्पतालों के बीच भाग-दौड़ कर रहे थे। किसी ने उसके बारे में कुछ नहीं बताया। पुलिस वालों ने भी हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने किसी तरह की सूचना से इनकार कर दिया। पुलिस वालों ने कहा कि अब एक ही रास्ता बचा है कि मृतकों की पहचान की जाए।’

उत्तराखंड की रहने वालीं विमला काम के सिलसिले में दिल्ली शिफ्ट हुई हैं। हादसे में उनके हाथ जलकर कट गए। राजेश कुमार की भाभी स्वीटी पैकिंग विभाग में काम करती थी। राजेश शाम 5 बजे से इधर-उधर भागते रहे। लेकिन भाभी का कुछ पता नहीं चला।

हादसा तो तय था, पहले भी लग चुकी थी आग: स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों ने कहा कि वहां अवैध रूप से बिल्डिंगें बनाई गई हैं। उन्हें देखकर सबको अंदाजा था कि यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कई बार आग की छोटी-छोटी घटनाएं हुईं, लेकिन तब हंगामा नहीं बरपा और बात को दबा दिया जाता। उनका कहना है कि अधिकारियों और बिल्डरों के बीच ऐसा नेक्सस है कि सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर बिल्डिंगें बनाने की अनुमति मिल जाती है। मुंडका की आग के कारण रोहतक रोड पर ट्रैफिक का संचालन भी प्रभावित हुआ। उधर से तीन घंटे तक आवाजाही बंद कर दी गई और बाद में एक तरफ का रास्ता खोला गया।

100 दमकल कर्मियों ने चलाया राहत अभियान
दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने कहा, ’30 से ज्यादा दमकल वाहन और 100 से ज्यादा कर्मचारी मौके पर भेजे गए थे। ऐसा लगता है कि बिल्डिंग में ज्वलनशील पदार्थ इकट्ठा किए गए थे। इस कारण आग तेजी से फैल गई। अधिकांश शव पूरी तरह जले हुए थे।’ उधर, राष्ट्रीय आपदा विमोचन बल (NDRF) की एक टीम भी देर रात मौके पर पहुंची और राहत कार्यों को अंजाम दिया। बाद में कूलिंग ऑपरेशन भी शुरू किया गया। पुलिस ने बताया कि एक विशेष सूचना केंद्र बना दिया गया है ताकि लोगों को उनके परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों के बारे में जानकारी दी जा सके।

27 लाशें मिलीं, 12 लोग झुलस गए
ध्यान रहे कि पश्चिमी दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास स्थित चार मंजिला व्यावसायिक इमारत में शुक्रवार शाम आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य झुलस गए। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आग इमारत की पहली मंजिल से लगनी शुरू हुई जहां सीसीटीवी कैमरा और राउटर बनाने वाली कंपनी का ऑफिस था।

बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था
परिसर में अपनी जान गंवाने वाले या वहां से बचकर निकले लोगों के परिचितों और परिजनों ने बताया कि दूसरी मंजिल पर एक बैठक बुलाई गई थी। अधिकांश कर्मचारी वहां जमा हो गए थे। कुर्सियों की कमी के कारण कुछ लोग फर्श पर बैठे थे। बैठक के करीब आधे घंटे बाद नीचे के एक कर्मचारी ने बिजली गुल होने और फिर आग लगने की जानकारी दी। लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखा, तो कुछ लोगों ने खिड़कियों को तोड़ने के लिए भारी वस्तुएं फेंकी और एक पाइप पर चढ़ गए। जो रुकने में असमर्थ थे, वे ऊंचे स्थान पर चले गए। आरोप कि बैठक शुरू होने से पहले कई लोगों को अपने फोन जमा करने के लिए कहा गया था। जिंदा बचे लोगों में गोविंद की मां रीना भी शामिल हैं, जिसने यह बात कही।

असेंबलिंग यूनिट में काम करने वाली इमला (40) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया-“मैं तीसरी मंजिल पर थी। अफरा-तफरी का माहौल था। मेरे दोस्त ने एक कुर्सी ली और शीशे की खिड़कियों को तोड़ना शुरू कर दिया। मैं अन्य लोगों के साथ सीढ़ियों की ओर भागी, लेकिन जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। आग ने सब कुछ अपनी चपेट में ले लिया। लिफ्ट ने काम करना बंद कर दिया। एक घंटे में स्थानीय लोग हमें बचाने आए। उन्हें सीढ़ियां और रस्सियां मिलीं। जो निकला पाया वो निकल गया, बाकी सब वही रह गए। मैं डर गई और खिड़की से कूद गई। मैं मरना नहीं चाहती थी। बेटा मेरा इंतजार कर रहा था।”

कंपनी मालिक गिरफ्तार, बिल्डिंग मालिक की तलाश
पुलिस ने बताया कि कंपनी के मालिकों- हरीश गोयल और वरुण गोयल को हिरासत में ले लिया गया है और इमारत के मालिक की पहचान मनीष लाकरा के रूप में हुई है। इसने कहा कि वह इमारत के सबसे ऊपर वाले तल पर रहता था और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है।

मृतक के परिजनों को मिलेगा मुआवजा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आग लगने से हुई लोगों की मौत पर शोक जताया। कोविंद ने कहा कि वह इमारत में आग लगने से कई लोगों की मौत से अत्यंत दुखी हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से इस हादसे में जाने गंवाने वालों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये तथा घायलों को पचास-पचास हजार रुपये की राशि दी जाएगी।

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