Saurabh CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA
ऊर्जा प्रदेश को रोशन करने के लिए उत्तराखंड का एक ओर गांव जलसमाधि ले चुका है। एक सौ बीस मेगावाट की व्यासी परियोजना के लिए विस्थापित किया गया लोहारी गांव बांध की झील में जलमग्न हो रहा है। गांव के बुजुर्ग,युवा, महिलाएं और बच्चों के सामने जब उनके घर डूब रहे थे तो डूबते गांव को देखते हुए हर किसी की आंखे भर आई। गांव वालों के सामने अब रोजगार, खेती और नया घर बसाने की बड़ी चुनौती सामने खड़ी हो गई है।
जिन खेत खलियानों और गांव में 90 परिवार ने अपना एक-एक पल को जिया। अब अपनी आंखों के सामने गांव को जलमग्न होते देख हर कोई भावुक हो रहे हैं। प्रशासन ने जैसे ही गांववासियों को गांव खाली करने का नोटिस थमाया हर तरफ कोहराम जैसा नजर आने लगा। खून-पसीने की मेहनत से जोड़कर घर बनाने के बाद अब अपने ही हाथों से घरों को तोड़ना पड़ा है। जिसके बाद घरों से सामान इकट्टा कर दूसरे ठिकानों पर पहुंच चुके हैं। इसके साथ ही सालभर जिस खेती पर मेहनत की पानी आते देख फसल भी समेट कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया है। रात में भी ग्रामीण उठकरजितनी बार अपने डूबते घरों को देख रहे हैं। उतनी बार ग्रामीण भावुक हो जाते हैं। गांव के डूबने के साथ लोगों की एक संस्कृति,एक सभ्यता,एक पहचान भी पानी में समा रही है।
व्यासी बांध परियोजना में 15 से 16 अप्रैल तक पानी बिजली उत्पादन के स्तर पर पहुंच जाएगा। अप्रैल के अंत तक पावर हाउस से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। व्यासी परियोजना से आसपास के 6 गांव के 334 परिवार प्रभावित हो रहे है। लोहारी गांव लखवाड़ और व्यासी दोनों परियोजनाओं से प्रभावित हो रहा है। लखवाड़-व्यासी परियोजना के लिए वर्ष 1972 में सरकार और ग्रामीणों के बीच जमीन अधिग्रहण का समझौता हुआ था। 1977-1989 के बीच गांव की 8,495 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है. जबकि लखवाड़ परियोजना के लिए करीब 9 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना बाकी है।
इस परियोजना के लोकार्पण के बाद पछवादून में अब छह विद्युत परियोजनाएं संचालित होंगी। इससे पहले पछवादून में छिबरौ, खोदरी, ढालीपुर, ढकरानी और कुल्हाल जल विद्युत उत्पादन केंद्र संचालित हो रहे हैं। व्यासी परियोजना देहरादून जिले के हथियारी जुड्डो में यमुना नदी पर स्थित रन आफ रिवर जलविद्युत परियोजना है। वर्ष 2014 में परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया। इस परियोजना की लागत 1777.30 करोड़ है। उत्तराखंड में दो बड़ी प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं लखवाड़ और व्यासी को 300 मेगावाट की लखवाड़ परियोजना 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना के लिए भी सारी औचारिकताएं पूरी हैं।
लोहारी गांव डूबते ही याद आ गया टिहरी
लोहारी गांव के डूबने से टिहरी बांध के डूबते समय टिहरी जिले की पूरी तस्वीरें फिर से जहन में आ गई है। अपने स्थापना के 90 वर्ष बाद 29 अक्तूबर 2005 को उत्तराखंड में बसा खूबसूरत टिहरी शहर डूब गया। वर्ष 1815 से पहले धुनारों की बस्ती में जब 28 दिसंबर 1815 को टिहरी बसाई गई थी तो तत्कालीन राजपुरोहित ने इस शहर की उम्र दो सौ वर्ष से कम बताई थी। तब शायद इस बात का किसी को अंदाजा नहीं होगा कि पूरा शहर बांध परियोजना के लिए डूब जाएगा। टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा और विशालकाय बांध है।
व्यासी जल विद्युत परियोजना –
- लखवाड़ , कालसी, जिला देहरादून,
- यमुना नदी पर निर्मित परियोजना
- बांध की ऊंचाई – 204 मीटर (669 फीट)
- उत्पादन क्षमता- 300 मेगावाट
- परियोजना का कुल रकबा- 9.57 वर्ग किलोमीटर
- निर्माण आरंभ – 1987