उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में धार्मिक तुष्टिकरण को लेकर सियासत गरमाई रही। 2022 का चुनाव सियासी दलों और प्रत्याशियों के बनाए गए थीम सांग्स के लिए भी याद किया जाएगा।

VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में यादगार रहेगा। नेताओं की बदजुबानी से लेकर धार्मिक तुष्टिकरण तक की कोशिशें भी खूब हुई। ये प्रदेश का ऐसा पहला विधानसभा चुनाव रहा, जिसमें हरक सिंह रावत नहीं लड़े।

चुनाव से ठीक पहले हरिद्वार में हुई धर्म संसद से बदला राजनीतिक माहौल चुनाव नजदीक आने के साथ करवटें बदलता चला गया। जैसे-जैसे चुनाव निर्णायक दौर में पहुंचा, भाजपा ने तुष्टिकरण के मुद्दे पर कांग्रेस को असहज करने की कोशिश की। कांग्रेस ने भी तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने को लेकर बनाए गए तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा मुद्दे से भाजपा को घेरने का प्रयास किया।

चुनाव में भाजपा ने आखिर में चला ध्रुवीकरण का दांव
आम आदमी पार्टी ने भी आध्यात्मिक राजधानी से लेकर मुफ्त बिजली गारंटी की भी सियासत की। चुनाव में भाजपा ने आखिर में ध्रुवीकरण का दांव चला। मुस्लिम विवि के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह से लेकर पार्टी नेताओं ने जमकर कांग्रेस को घेरा।

लव जिहाद से लेकर लैंड जिहाद, हिजाब और आखिर में सीएम धामी का समान नागरिक संहिता का मुद्दा ध्रुवीकरण की सियासत का आखिरी दांव माना गया। वहीं, कांग्रेस ध्रुवीकरण के मामले पर कन्नी काटती नजर आई। कांग्रेस ने तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने के मुद्दे को अपने चुनाव अभियान का सबसे धारदार हथियार बनाते हुए भाजपा पर जमकर चुनावी हमला किया।

इसके अलावा 2022 का विधानसभा चुनाव सियासी दलों और प्रत्याशियों के बनाए गए थीम सांग्स के लिए भी याद किया जाएगा। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ने ही थीम सांग्स नहीं बनाए बल्कि प्रत्याशियों के समर्थन में भी सोशल मीडिया और प्रचार में जमकर गाने बजाए। बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल ने भी भाजपा का थीम सांग गाया और प्रधानमंत्री की कविता को भी आवाज दी।

दलबदलुओं की रही बहार
इस चुनाव में दलबदलुओं की भी बहार रही। धामी सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत कांग्रेस में चले गए। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, कांग्रेस नेता दुर्गेश्वर लाल ने भाजपा का दामन थाम लिया। ओम गोपाल रावत और टिहरी विधायक धन सिंह नेगी ने भाजपा से बगावत की और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा।

चुनावी चौसर से बाहर दिखे हरक, चैंपियन और कर्णवाल
यह चुनाव हरक सिंह रावत के लिए भी याद किया जाएगा। यह पहला चुनाव है, जिसमें हरक नजर नहीं आए। इसके अलावा चैंपियन और कर्णवाल भी इस बार चुनावी चौसर से बाहर दिखे। एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी के कारण पार्टी को असहज करने वाले इन दोनों विधायकों का भाजपा ने टिकट काट दिया। हालांकि चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवररानी देवयानी को बीजेपी ने टिकट दिया था जो बुरी तरह हार गई।

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