रूस-यूक्रेन युद्ध : उत्तराखंड के युवाओं का लाखों कमाने का सपना टूटा: खाली हाथ वापस. पढ़ें पूरी खबर.

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रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन में दो तबाही मची है.वहां के नागरिक दूसरे देश में शरण ले रहे हैं. ऐसे में जो भारत के युवा पढ़ें पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे. और कुछ युवा यूक्रेन में नौकरी करने भी गए थे. सभी के सामने अपने भविष्य को लेकर एक संकट आ गया है.

रूस-यूक्रेन युद्ध ने उत्तराखंड के होटलियर युवाओं का सपना तोड़ दिया है। युवा लाखों रुपये कमाने का सपना लेकर यूक्रेन नौकरी करने गए थे, लेकिन अधिकांश युवाओं को अब खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। कोई दो महीने तो एक महीने की नौकरी करके वापस आ रहा है। कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो एजेंट को लाखों रुपये देकर यूक्रेन गए थे, लेकिन लौटते वक्त उनकी जेब खाली है।

होटलियर युवाओं के लिए विदेश में नौकरी करना एक सपना होता है। कई देशों में भारत की अपेक्षा तीन से चार गुना ज्यादा सैलरी मिलती है। इसलिए युवाओं में विदेश में नौकरी करने की होड रहती है। युवा ऐसे देश जाना चाहते हैं, जहां उनको अच्छी सैलरी पैकेज मिले। यूक्रेन भी उन देशों में एक है। यहां भारत की अपेक्षा कुछ युवाओं को दो से तीन गुना ज्यादा सैलरी मिलती है। उत्तराखंड से बड़ी संख्या में युवा यूक्रेन के होटलों में जॉब कर रहे थे, लेकिन युद्ध के बाद उनको वापस वतन लौटना पड़ रहा है। ऐसे में उनका लाखों रुपये कमाने के सपना टूट गया है। कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो हाल में ही गए थे, लेकिन अब उनको खाली हाथ घर लौटना पड़ रहा है।

देवप्रयाग के मनोज पिछले साल दिसंबर महीने में यूक्रेन गए थे। यह पहला मौका था जब वह विदेश में नौकरी के लिए गए। उनको वहां पर 50 हजार रुपये से ज्यादा वेतन मिल रहा था। तीन साल का वीजा था, लेकिन युद्ध के कारण दो महीने की नौकरी करने के बाद वापस लौटना पड़ा था। उनके जेब में मात्र दस हजार रुपये हैं। एजेंट को एक लाख रुपये देकर यूक्रेन गए थे।

रुद्रप्रयाग के धूम सिंह पहले भारत के होटलों में 15 हजार की नौकरी करते थे। डेढ़ महीने पहले वह यूक्रेन गए। वहां उनको करीब 50 हजार रुपये सैलरी मिल रही थी। वापस लौटते वक्त उनकी जेब मात्र 3600 रुपये है। पहली बार उनका विदेश के लिए चयन हुआ तो काफी खुश थे। अभी तीन साल नौकरी करनी थी, लेकिन युद्ध के चलते वापस लौटना पड़ रहा है।

यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे प्रेमनगर निवासी यशवीर सिंह दिल्ली लौट आए हैं। यशवीर यूक्रेन के एक होटल में एग्जीक्यूटिव सेफ थे। दो महीने पहले गए थे और डेढ़ लाख रुपये की सैलरी मिल रही थी। यशवीर ने बताया कि इससे पहले वह दस साल साउदी अरब के साथ ही जर्मनी, सिंगापुर और आस्ट्रेलिया में भी काम कर चुके हैं। बताया कि रोमानिया सीमा तक आने में उनको दिक्कत हुई है, लेकिन इसके बाद कोई परेशानी नहीं हुई। रिटायर मेजर समरपाल सिंह तूर ने खूब मदद की है। बताया कि उनकी टीम यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद कर रही है। अब तक 15 हजार ज्यादा लोगों की मदद कर चुके हैं। फंसे लोगों को गाइड करने के साथ ही उनके लिए बस-टैक्सी का इंतेजाम भी करवा रहे हैं।

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