उत्तराखंड के सबसे प्राचीन और चमत्कारिक शिव मंदिर.शिवरात्रि पर आप इनमें से कुछ मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं.

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उत्तराखंड में कई प्राचीन और चमत्कारिक शिव मंदिर हैं. चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री को तो सभी जानते हैं. उत्तराखंड में और भी कई प्राचीन शिव मंदिर है.जहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. इन शिव मंदिरों के बारे में मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं. ऐसे में इस शिवरात्रि आप इनमें से कुछ मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं और भगवान भोलेनाथ के सम्मुख अपनी मनोकामना व्यक्त कर सकते हैं. वैसे भी देवभूमि उत्तराखंड को शिव की तप स्थली माना जाता है. यहां हिमालय पर साक्षात भगवना शिव का निवास है. इसका अलावा उत्तराखंड शिवजी का ससुराल भी माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से यहां कई देवी-देवताओं का निवास स्थल है.

बालेश्वर मंदिर चंपावत 

चंपावत में बालेश्वर मंदिर भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में शामिल है. इस मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी से ही इस प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है. शिलालेख के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 1272 के दौरान चंद वंश द्वारा किया गया था. बालेश्वर मंदिर 1670 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर की वाह्य दीवारों में ब्रह्मा विष्णु महेश अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं. बालेश्वर मंदिर के बाहर अष्टधातु का एक घंटा भी लटका है जिस पर कर्ण भोज चन्द चंदेल का नाम अंकित है. इस शिवरात्रि आप शिव के इस अति-प्राचीन मंदिर में जा सकते हैं.

बैजनाथ मंदिर 

बागेश्वर का बैजनाथ मंदिर गोमती नदी के पावन तट पर है. इसकी गिनती भी शिव के प्राचीन मंदिरों में होती है. मान्यता है कि यहां भगवान बैजनाथ से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस मंदिर का निर्माण 1204 ईस्वी में हुआ था. मंदिर की वास्तुकला और दीवारों की नक्काशी बेहद आकर्षक है. यह मंदिर बागेश्वर में है. आप इस शिवरात्रि भगवान बैजनाथ के इस मंदिर में जा सकते हैं.

तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ भगवान शिव का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. यह मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में है. यह मंदिर भी पंच केदार में शामिल है. पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने पूजा की थी और मंदिर का निर्माण करवाया था. यह मंदिर पहाड़ों की चोटी पर बसा हुआ है. मंदिर हजार साल से भी पुराना बताया जाता है.  यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई पर स्थित है. कहा जाता है कि भगवान शिव के इस मंदिर को पांडवों ने बनाया था. तुंगनाथ मंदिर अप्रैल-मई में खुलता है और दिवाली के बाद इसके कपाट बंद हो जाते हैं.

अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं, तो आपको कपाट खुलने तक इंतजार करना होगा. लेकिन आप इस शिवरात्रि इस मंदिर में जाने की प्लानिंग कर सकते हैं.

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