राजनीति में उलझकर कई परिवार बिखर गए।परिवारों के भीतर राजनीतिक मतभेद खुलकर पूरे उभरे.

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चुनावी मौसम में परिवार पर सियासत हावी

राजनीति में उलझकर कई परिवार बिखर गए। यह सिलसिला नया नहीं है मगर पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनाव से पहले परिवारों के भीतर राजनीतिक मतभेद खुलकर पूरे उभरे.

परिवार से अलग राह पर अपर्णा यादव

यूपी चुनाव से ठीक पहले, मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया। जेठ अखिलेश यादव के नेतृत्‍व में समाजवादी पार्टी का तरीका अपर्णा को पसंद नहीं आया।

पिता ने साथ छोड़ा, बीजेपी के साथ हुई है बेटी

उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में पिछले दिनों तब भूचाल आया जब कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने इस्‍तीफा दे दिया। कुछ दिन बाद वह सपा में शामिल हो गए। हालांकि उनकी बेटी संघमित्रा जो कि लोकसभा सांसद भी हैं, ने कहा कि वे बीजेपी की ‘निष्‍ठावान’ कार्यकर्ता हैं।

आदर्श शास्‍त्री को पिता ने घर से निकाल दिया था

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री के पोते, आदर्श शास्‍त्री ने 2013 में ऐप्‍पल की नौकरी छोड़ आम आदमी पार्टी जॉइन की थी। खांटी कांग्रेसी परिवार से आने वाले आदर्श का यह फैसला घरवालों को बड़ा नागवार गुजरा। पिता ने तो पुश्‍तैनी घर से आदर्श को बाहर निकाल दिया था। उनका मजाक उड़ाया जाता। इसी साल जनवरी में आदर्श वापस कांग्रेस में आ गए। अब वह फिर परिवार संग रहने लगे हैं।

पंजाब चुनाव में भाई से अलग है भाई

पंजाब में कांग्रेस के सीएम उम्‍मीदवार चरणजीत सिंह चन्‍नी के भाई मनोहर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

पंजाब में भाई vs भाई की एक और लड़ाई

कांग्रेस के राज्‍यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई फतेह जंग सिंह पिछले साल दिसंबर में भाजपाई हो गए। दोनों की लड़ाई खुलकर सामने चुकी है। कादियां सीट से प्रताप सिंह कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि पड़ोसी बटाला सीट से फतेह जंग।

 

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