छत्रपति शिवाजी ने कैसे किया अफजल खान का वध. उनके खिलाफ युद्ध में जाने से पहले अफजल खान ने अपनी सभी 63 पत्नियों को मार डाला था। पढ़िए पूरी कहानी.

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छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ युद्ध में जाने से पहले अफजल खान ने अपनी सभी 63 पत्नियों को मार डाला था। ऐसा माना जाता है कि एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि वह वापस नहीं आ सकता।

वामपंथी इतिहासकार हमेशा जनता को बताते हैं कि मुस्लिम हमलावर कितने साहसी थे लेकिन इतिहास कुछ और ही दिखाता है। कायरता की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मारे गए अफजल खान के कोष्ठ में आती है। छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ युद्ध में जाने से पहले अफजल खान ने अपनी सभी 63 पत्नियों को मार डाला था। ऐसा माना जाता है कि एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि वह युद्ध से लौटकर वापस नहीं आएगा इसलिए युद्ध में जाने से पहले अफजल खान ने अपनी सभी पत्नियों को मार डाला था।

जब छत्रपति शिवाजी महाराज स्वराज का सपना लेकर आक्रमणकारियों के खिलाफ लगातार आगे बढ़ रहे थे और हरा रहे थे, तो मुगल शासक औरंगजेब बहुत डर गया था। 1658 में औरंगजेब, छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ युद्ध करने के लिए और उन्हें हराने के लिए आदिल शाही के ऊपर लगातार दबाव बना रहा था।

आदिल शाही या आदिलशाही, एक शिया थे, और बाद में सुन्नी मुस्लिम बन गए, यह युसुफ आदिल शाह द्वारा स्थापित राजवंश था, जिसने बीजापुर के सल्तनत पर शासन किया। जो वर्तमान में दक्षिणी भारत में कर्नाटक के बीजापुर जिले में दक्कन क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में 1489 से 1686 तक केंद्रित था।

शिवाजी महाराज ने बीजापुर के तमाम इलाकों पर कब्जा कर लिया था। 1659 ईसवी में बीजापुर की गद्दी पर आदिलशाह द्वितीय बैठा हुआ था। शिवाजी उसके लिए संकट बन गए थे। आदिलशाह को समझ आ गया कि शिवाजी को समाप्त नहीं किया तो खतरा बन जाएगा। इससे पहले भी शिवाजी को मारने की योजना कई बार बनाई लेकिन सफलता नहीं मिली। अंततः शिवाजी का वध करने के लिए अफजल खान को एक नवम्बर, 1659 को भेजा गया। वह अत्यंत दुष्ट स्वभाव का था। अफजल खान बीजापुर की आदिल शाही हुकूमत का बेहतरीन योद्धा था, जो हर तरह की रणनीति अपनाने में माहिर था। वह विशाल सेना के साथ मंदिरों को ध्वस्त करता हुआ प्रतापगढ़ के निकट पहुंचा। प्रतापगढ़ के किले में ही शिवाजी थे। यहां तक किसी सेना का पहुंचना नामुमकिन था।

अफजल खान ने शिवाजी को मिलने का संदेश भेजा। शिवाजी उसकी चालाकी को जानते थे। फिर दोनों में मुलाकात तय हुई। शिवाजी ने शर्त रखी कि किसी के पास कोई शस्त्र नहीं होगा। सेना नहीं होगी। साथ में सिर्फ एक अंगरक्षक होगा। अफजल खान अपने हाथ में कटारी छिपाकर लाया। शिवाजी भी कम होशियार नहीं थे। उन्होंने यह बात विचार कर ली थी कि अफजल खान कोई न कोई षड्यंत्र कर सकता है। शिवाजी ने अंगरखा के अंदर कवच पहना। दाएं हाथ में बघनखा छिपा लिया।

बघनखा से अफजल खान का पेट फाड़ दिया
योजनानुसार, 10 नवम्बर 1659 को निश्चित समय प्रतापगढ़ दुर्ग के नीचे ढालू जमीन पर शिवाजी और अफजल खां की भेंट हुई। अफजल खां ने शिवाजी को गले लगाया। अफजल खां लम्बा था। शिवाजी छोटे कद के थे। शिवाजी उसके सीने तक ही आ पाए और उसने पीठ में कटारी मारी। कवच पहना होने के कारण वार का कोई प्रभाव नहीं हुआ। इसी दौरान शिवाजी महाराज ने अफजल खान के पेट में बघनखा घुसेड़ दिया। अफजल खां वहीं पर ढेर हो गया। उसकी सेना पर भी हमला कर दिया। इतिहास में इस लड़ाई को प्रतापगढ़ युद्ध के नाम से जाना जाता है।

 

शकुन ने ले ली अफजल खान की 63 पत्नियों की जान
अफजल खान आदिल शाही के बहुत ही आश्वस्त ऑफिस जनरल थे, जिन्हें शिवाजी महाराज के खिलाफ युद्ध में जाने के लिए कहा गया। अफजल खान एक ऐसे शख्स थे जो शकुन (समाज में प्रचलित एक अवधारणा है जिसमें यह माना जाता है कि कुछ विशेष प्रकार की परिघटनाएं हमारे भविष्य का संकेत देती हैं।) पर आंख मूंदकर विश्वास करते थे। ऐसा ही एक शगुन उनकी 63 पत्नियों की मौत के लिए जिम्मेदार था। युद्ध में जाने से पहले किसी ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि अफजल खान युद्ध से नहीं लौटेगा और छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मारा जाएगा।

सच साबित हुई थी भविष्यवाणी
शकुन सुनने के बाद अफजल खान ने आंख बंद करके भविष्यवाणी पर विश्वास किया और अपनी सभी 63 पत्नियों को मार डाला क्योंकि उसे डर था कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी 63 पत्नियां किसी और से शादी कर लेंगी। कोई कहता है कि अफजल खान ने पत्नियों को कुएं से नीचे धकेला था, तो कोई कहता है कि तलवार से उनका वध किया गया था। हालांकि भनिष्यवाणी सच साबित हुई, अफजल खान छत्रपति शिवाजी महाराज के हाथों मारा गया।

अफजल खान की 63 पत्नियों की 63 मकबरे आज बीजापुर के साठ कबर में स्थित हैं। ये बीजापुर की 63 कुलीन महिलाएं, अफजल खान की पत्नियां थीं। उनकी पत्नियों को बीजापुर से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर दफनाया गया है। विडंबना यह है कि जनरल अफजल खान द्वारा अपने लिए बनाया गया मकबरा, जो जीवन और मृत्यु में अपनी पत्नियों के करीब रहना चाहता था, ज्वार के खेतों से घिरे एक एकड़ के कब्रिस्तान के बगल में खड़ा है।

 

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