कैलाश पर्वत के बारे में रहस्यमयी मान्यताएं, क्योंकि कोई भी कभी भी इस चोटी को फतह करने में कामयाब नहीं हुआ.

VS CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

कैलाश पर्वत, हालांकि इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटियां नहीं हैं, लेकिन कोई भी कभी भी इस चोटी को फतह करने में कामयाब नहीं हुआ है.

सभी चढ़ाई अभियानों को यहां होने से रोक दिया गया है. ऐसा माना जाता है कि शिखर पर चढ़ने के किसी भी प्रयास को दैवीय हस्तक्षेप से विफल कर दिया गया था, जैसे कि अचानक मौसम परिवर्तन हो जाना, खोए हुए रास्ते जहां पर कोई भी भटक जाए और बहुत कुछ अनजान है

झीलों के यिन और यांग

कैलाश पर्वत की तलहटी में दो सरोवर हैं, मानसरोवर और राक्षस ताल. ऐसा माना जाता है कि दो झीलें यिन और यांग का प्रतिनिधित्व करती हैं, एक का आकार सूर्य जैसा है जबकि दूसरा चंद्रमा जैसा दिखता है, एक मीठे पानी की झील है और दूसरी खारे पानी की है.

जो विश्वास करते हैं उनका तो ये भी मत है कि मानसरोवर प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि राक्षस ताल अंधेरे का प्रतिनिधित्व करता है.

क्या ये एक एडवांस्ड सभ्यता या प्रकृति के चमत्कार के जरिए बनाया गया आश्चर्य है?

कई वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कैलाश पर्वत प्रकृति की रचना के लिए बहुत सिमेट्रिकल और परफेक्ट है. उनका ये भी मत है कि क्यूंकि ये प्रभावशाली रूप से परपेंडीकुलर है, इसलिए ये एक मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है और सबसे बड़ा भी.

ये भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत की चोटी कई वैक्यूम पिरामिडों के समूह से बनी है, और एक प्राचीन सभ्यता के जरिए बनाई गई थी जो कि अब किसी भी तरह से एडवांस्ड थी.

एनर्जी का भंवर

जबकि सिद्धांत विवादित रहता है, कुछ वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि कैलाश पर्वत एक एनर्जी का भंवर है जो उम्र बढ़ने को तेज करता है. ये भी एक शहरी लीजेंड है कि जो लोग यहां 12 घंटे से ज्यादा समय बिताते हैं, वो तेजी से नाखून और बालों के विकास का अनुभव करते हैं.

क्या सीमा अंडरग्राउंड शहरों के ऊपर बैठती है?

सबसे फेमस शहरी लीजेंड्स में से एक संकेत देता है कि कैलाश पर्वत के नीचे का एरिया और भूमिगत शहरों, शम्भाला और अगरथा के ऊपर स्थित है, और उन्हें छिपा कर रखता है.

माना जाता है कि दोनों गोबी रेगिस्तान और हिमालय से प्राचीन अभी तक ज्यादा एडवांस्ड सभ्यताओं का घर हैं. इसलिए आपको इस जगह को जरूर से जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *