मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने व्यावसायिक अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन न लेने पर गुरुवार को दो इंजीनियरों समेत तीन को निलंबित कर दिया।

VS CHAUHAN KI REPORT

मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने व्यावसायिक अवैध निर्माण के खिलाफ एक्शन न लेने पर गुरुवार को दो इंजीनियरों समेत तीन को निलंबित कर दिया। इसके अलावा संयुक्त सचिव से जवाब तलब किया गया है। दूसरी ओर प्राधिकरण की टीम ने रात को अवैध निर्माण का बड़ा हिस्सा ढहा दिया। शेष हिस्से को ढहाने की कार्रवाई आज शुक्रवार को हुई।

पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की गई
एमडीडीए ने शुक्रवार के आवासीय कॉलोनी के बीच बनी अवैध दुकानों को गिरा दिया। देहरादून में एमडीडीए के स्तर से पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की गई है। इससे पहले ज्यादातर मामलों में एमडीडीए केवल नोटिस भेजने और सीलिंग की कार्रवाई करता रहा है। एमडीडीए उपाध्यक्ष बृजेश संत ने कहा कि यह उन सब लोगों के लिए एक सख्त संदेश है, जो अवैध निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बंगाली कोठी के पास भंडारी चौक पर आनंद सिंह रावत ने तीन तल में नौ दुकानों का निर्माण किया था। अवैध रूप से बनाई गई इन दुकानों के मामले में सुनवाई के बाद एमडीडीए ने ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे। तय समय पर दुकानों को ध्वस्त नहीं किया जा सका।

इसकी शिकायत अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने आंतरिक रूप से मामले की जांच कराई। जांच में लापरवाही और जानबूझकर कार्रवाई न करने की पुष्टि हुई, जिस पर एई पीएन बहुगुणा, जेई प्रमोद मेहरा और सुपरवाइजर वीरेंद्र खंडूड़ी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा संयुक्त सचिव मीनाक्षी पटवाल से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है। सचिव हरबीर सिंह ने बताया कि आदेश के बावजूद अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। तुरंत कार्रवाई के निर्देश पर टीम ने रात को ही काफी बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया।

देर रात तक चलती रही अवैध दुकानों को ढहाने की कार्रवाई
देहरादून के भंडारी चौक, बंगाली कोठी के पास आवासीय कॉलोनी में बन रही अवैध दुकानों के खिलाफ कार्रवाई देर रात तक जारी रही। एमडीडीए के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में प्राधिकरण की टीम ने निर्माण को ढहाना शुरू किया। हालांकि, अंधेरा ज्यादा होने के कारण कुछ देर बाद ही कार्रवाई रोकनी पड़ी। इससे भवन का एक बड़ा हिस्सा अब भी ध्वस्त नहीं हो पाया है।

इंजीनियरों और सुपरवाइजर पर कार्रवाई करने के साथ ही प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंची और अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। बाद में टीम ने पूरे इलाके की बैरिकेडिंग कर दी। ताकि, कोई भी भवन के पास न जा सके। सचिव हरबीर सिंह ने बताया कि भवन का बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ हिस्सा गिरने वाला है, जो कभी भी गिर सकता है। इसको देखते हुए भवन की बैरिकेडिंग कर दी गई है। ताकि, लोग वहां न जा सकें। वहीं, प्राधिकरण की कार्रवाई की जानकारी मिलते ही कई स्थानीय लोग मौके पर जमा हो गए।

पहले भी विवादों में रहा है प्राधिकरण
एमडीडीए पहले भी अक्सर विवादों में रहा है। कई बार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। 2016 में माजरा स्थित भवन को कंपाउंड कराने के बदले सुपरवाइजर पर एक लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा। बाद में इस मामले में एक एई की संलिप्तता भी पाई गई। विजिलेंस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया था। वहीं, कुछ समय पहले सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटिव के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। उस पर ऑनलाइन मैप अप्रूवल सिस्टम में प्राधिकरण उपाध्यक्ष से ज्यादा अधिकार लेने का आरोप लगा था।

निलंबन की कार्रवाई से एमडीडीए में मचा हड़कंप
प्राधिकरण के दो इंजीनियर समेत तीन कर्मियों को एक साथ निलंबित किए जाने का आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। अधिकारी-कर्मचारी एक दूसरे को फोन कर मामले की जानकारी लेते रहे। वहीं, विभिन्न मामलों में लीपापोती करने वाले अधिकारी और कर्मचारी इस कार्रवाई से घबराए हुए हैं। बताया जा रहा है कि कई कर्मचारी रात को भी अपनी फाइलों और संबंधित मामलों के संबंध में जानकारी लेते रहे। आज कार्यालय खुलने के बाद भी इस मामले में चर्चा रह सकती है।

काम में लापरवाही करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई जारी रहेगी। इसके अलावा लोगों के काम को अनावश्यक लटकाने वाले कर्मचारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। प्राधिकरण की ओर से जारी आदेशों का हर हाल में पालन करवाया जाएगा।

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