बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया। वे 98 साल के थे। पढ़िए उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से.

VSCHAUHAN KI REPORT

दिलीप कुमार ने 98 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके जाने से हिंदी सिनेमा के एक युग का अंत हो गया है. बुधवार सुबह करीब 7.30 बजे दिलीप कुमार का अस्पताल में निधन हुआ.

98 साल के दिलीप कुमार का इस तरह चले जाने से अमिताभ बच्‍चन गम में डूब गए हैं। उन्‍होंने कहा है कि यह एक ऐक्‍टर नहीं, बल्‍क‍ि एक संस्‍थान का अंत है। अमिताभ कहते हैं कि हिंदी सिनेमा का यदि इतिहास लिखा गया तो इसे ‘दिलीप कुमार से पहले…’ और ‘दिलीप कुमार के बाद…’ ही लिखा जाएगा।

दिलीप कुमार के पारिवारिक मित्र फैजल फारुखी ने  ट्विटर से उनके निधन की जानकारी दी. उन्होंने लिखा- बहुत भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि अब दिलीप साब हमारे बीच नहीं रहे.  दिलीप कुमार के निधन की खबर के बाद से ही इंडस्ट्री में शोक की लहर है.

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे निधन हो गया। वे 98 साल के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। दिलीप कुमार की तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी। उन्हें कई बार हॉस्पिटल में भी भर्ती करना पड़ा था। दिलीप कुमार को पिछले एक महीने में दो बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। दिलीप कुमार ने पांच दशक के करियर में महज 54 फिल्मों में काम किया था। उनके बारे में एक बात और कही जाती है कि उन्होंने अपने करियर में कई फिल्मों को ठुकरा दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि फिल्में कम हों, लेकिन बेहतर हों। सिल्वर स्क्रीन पर हर किसी ने उनका जलवा देखा. लेकिन कैमरे के सामने अदाकारी के जलवे दिखाने वाले इस दिग्गज ने क्रिकेट मैदान पर भी अपनी चमक बिखेरी थी। ये मैच खेला गया था 1962 में. सिने वर्कर्स रिलीफ फंड के लिए रकम जुटाने के लिए ये दोस्ताना चैरिटी मैच खेला गया था और बॉलीवुड के इन दोनों धुरंधरों को दो टीमों को कप्तान बनाया गया था.

दिलीप कुमार-मधुबाला की लव स्टोरी: फिल्मों में तो दिलीप कुमार के साथ ट्रेजेडी होती ही रहती थी, लेकिन असल जिंदगी में उनके साथ ट्रेजेडी तब हुई, जब उनके दिल ने उन्हें दगा दे दी. दिलीप कुमार और मधुबाला की मोहब्बत की शुरुआत तो एक गुलाब के फूल से हुई थी, लेकिन इस मुहब्बत के फूल में इन दोनों के लिए ढेर सारे कांटे थे. साल 1951 में दिलीप कुमार और मधुबाला ने फिल्म तराना में एक साथ काम किया.

उस वक्त दिलीप कुमार को ये खबर नहीं थी कि मधुबाला दिल ही दिल में दिलीप कुमार से प्यार करने लगी. फिल्म तराना की शूटिंग के दौरान मधुबाला ने अपनी करीबी मेकअप आर्टिस्ट के हाथों दिलीप कुमार को एक ख़त भेजा. ख़त के साथ एक लाल गुलाब भी था. उर्दू में लिखे हुए इस ख़त में मधुबाला ने लिखा था, अगर आप मुझे चाहते हैं तो ये गुलाब क़बूल फरमाइए. वरना इसे वापस कर दीजिए.

दिलीप कुमार 12 भाई-बहन थे और उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. दिलीप कुमार ने ब्रिटिश सैनिकों की कैंटीन में काम किया था, इसके बाद उन्होंने तकिये बेचने का काम भी शुरू किया था.

65 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले दिलीप कुमार ने इस कैंटीन में काम करने के दौरान ही अपना सैंडविच काउंटर खोल लिया था. उनके सैंडविच अंग्रेज सैनिकों के बीच काफी लोकप्रिय थे. हालांकि इसी काम के दौरान उन्होंने भारत की आजादी के समर्थन में अंग्रेज सैनिकों के सामने नारेबाजी कर दी थी, जिसके बाद उनका काम बंद हो गया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. रिहा होने के बाद वे मुंबई आ गए और पिता के साथ ही उनके काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. दिलीप कुमार ने तकिये बेचने का काम भी किया था लेकिन ये भी सफल नहीं रहा.

ये थी नाम बदलने के पीछे की कहानी

ये तो सभी जानते हैं कि दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था, लेकिन ये क्यों बदला गया इसकी कहानी काफी कम लोग जानते हैं. बॉम्बे टॉकिज की मालकिन देविका रानी ने दिलीप कुमार को फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया था लेकिन उनके पिता को ये बिलकुल पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने पिता के डर से ही उन्होंने नाम बदल लिया था. उन्हें नाम बदलने की सलाह देविका रानी ने ही दी थी.

 

सिनेमा का हरदम जगमगाता सितारा आज इस दुनिया से दूर जरूर चला गया है, लेकिन उनकी रोशनी हमारे दिलों में हमेशा जिंदा है. दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.  उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था. वह पाकिस्तान से मुंबई चले आए थे, लेकिन अपने पेशावर में बिताए बचपन और उस घर को वो हमेशा याद करते थे. इतना कि उन्होंने पिछले साल ट्वीट भी किया था कि कोई उनके घर की तस्वीर भर ही दिखा दे. उनकी इस गुजारिश में घर से दूर होने का दर्द और यादें छिपी थीं जो उनके दिल को हमेशा पेशावर के उस घर के करीब ले जाती थीं. किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित ये घर मुगल-ए आजम के अभिनेता ने बंटवारे से पहले जीवन के शुरुआती दिन बिताए थे. राजकपूर का पैतृक घर भी पड़ोस में ही है. खैर अब सरकार ने 80 लाख रुपये कीमत तय करके इस हवेली को खरीद लिया है.आखिर तक उनके दिल से इस घर को न देख पाने का दर्द नहीं जा रहा था.

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