कोरोना को हराकर बची हुई दवाइयों से बना दिया मेडिसिन बैंक,दे रहे है निशुल्क दवाइयाँ

मेरठ से गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट

मेरठ :- कोरोना को हराकर बची हुई दवाइयों से बना दिया मेडिसिन बैंक,दे रहे है निशुल्क दवाइयाँ .कोरोना महामारी के बीच जहां कोरोना की दवाइयों को लेकर हाहाकार मचा है ,लोगों को महंगे दामों पर दवाइयां मिल रही है ,लोग दवाइयों के लिए दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं इसी बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने कोरोनाकाल मे लोगो की मदद करके एक मिसाल कायम की है ऐसे ही एक शख्स है मेरठ के रहने वाले डॉ विजय पंडित जिन का पूरा परिवार कोरोना की पहली लहर मेंं  कोरोना पॉजिटिव हो गया था और पूरे परिवार के इलाज के लिए दवाइयां ही दवाइयां आ गई और जब इनका पूरा परिवार कोरोना से जंग जीत गया तो घर में कोरोना की बची हुई दवाइयों से इन्होंने एक मेडिसन बैंक बनाया और लोगों को फ्री में कोरोना कि दवाइयां मुहैया कराने लगे

बाइट :- डॉ विजय पंडित ,मैडिसन बैंक चलाने वाला

डॉ विजय पंडित का कहना है कि कोरोना काल में लोग परेशान हैं उनको दवाइयां नहीं मिल रही थी और क्योंकि उनका पूरा परिवार ही कोरोना से संक्रमित था तो उस समय बहुत सारी दवाइयां मंगाई गई थी और जो दवाइयां बच गई तो उन्होंने सोचा क्यों ना ऐसा काम किया जाए कि यह दवाइयां उन लोगों के काम आए जो कोरोना से पीड़ित है

दरअसल मेरठ के रोहटा रोड के विकास एनक्लेव के रहने वाले डॉ विजय पंडित जिनकी उम्र 50 साल है का पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था डॉ विजय पंडित का कहना है कि उनके पड़ोस में अक्टूबर 2020 में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे जिसके बाद उनकी कॉलोनी में कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग चल रही थी और उसमें 16 अक्टूबर 2020 को उनके पूरे परिवार का कोरोना टेस्ट हुआ और उसमें पूरा का पूरा परिवार ही उनका कोरोना पॉजिटिव पाया गया उनके परिवार में छह 6 सदस्य हैं दो उनके बेटे एक पत्नी पूनम पंडित और उनके माता-पिता कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनका बड़ा बेटा और माता पिता मेरठ के सुभारती हॉस्पिटल में एडमिट रहे और वह खुद मेरठ के आनंद हॉस्पिटल में भर्ती रहे ,जबकि पत्नी पूनम पंडित और उनका छोटा बेटा घर पर ही इलाज कराते रहे और 2-11- 2020 को पूरा परिवार ही नेगेटिव आ गया


बाइट :- पूनम पंडित ,डॉ विजय की पत्नी

जिसके बाद अस्पताल में जो दवाइयां इनको मिली थी वह बच गई थी और घर पर भी काफी दवाइयां थी डॉ विजय पंडित का कहना है कि उन्होंने दवाइयां वापस करने की कोशिश भी की लेकिन वापस नहीं ली गई जिसके बाद काफी बड़ी मात्रा में बची दवाइयों को सैनिटाइजर करके उन्होंने दवाइयों को अपने घर पर ही रख लिया और जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो दवाइयों के लिए हाहाकार मच गया और दवाइयां औने पौने दामों में बिकने लगी ,जिसके बाद इनके मन में विचार आया कि क्यों ना जो इनके पास दवाइयां हैं उन से जनसेवा की जाए और इन्होंने एक मेडिसिन बैंक बना डाला जिस में इनका कहना है कि जिसको भी दवाइयों की जरूरत होती है वह उनको फोन करके निशुल्क दवाइयां पा सकता है

डॉ विजय पंडित का कहना है कि उन्होंने अब तक चार लोगों को दवाइयां मोहिया करा चुके है और उनके साथ में अब और लोग भी जुड़ने लगे हैं और तीन जगह से उनको दवाइयां और मिली है और लोग उनका साथ दे रहे हैं

 

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