उत्तराखंड में कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन जैसी स्थितियों ने प्रवासियों को उनके गृह राज्य लौटने पर मजबूर कर दिया है. कोरोना कर्फ्यू के बीच 1 लाख से ज्यादा प्रवासी अपने घरों की ओर लौट चुके हैं.

वीएस चौहान की रिपोर्ट

कोरोना संकट  ने एक बार फिर देश में लॉकडाउन जैसी स्थितियों की वापसी कर दी है. अलग-अलग राज्यों में प्रतिबंध बढ़ा दिए हैं, जिसकी वजह से प्रवासी अपने गृह राज्यों की ओर लौटने को मजबूर हैं. जिस काम को अरबों खर्च करके नहीं पूरा किया जा सका, उसे कोरोना की महामारी ने पूरा कर दिया है. अकेले उत्तराखंड में कोरोना कर्फ्यू के बीच 1 लाख से ज्यादा प्रवासियों ने घर वापसी की है.

जब कोरोना की पहली लहर के बीच लॉकडाउन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, तब भी उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में प्रवासी बड़ी संख्या में लौटे थे. अब तक अल्मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल में सबसे ज्यादा लोग अपने घरों की ओर लौटे हैं. प्रवासियों के लौटने की सबसे ज्यादा संख्या अल्मोड़ा की है, जबकि दूसरे नंबर पर पौड़ी गढ़वाल है.

दिल्ली, मुम्बई, गुरुग्राम और अन्य मेट्रो शहरों से उत्तराखंड के अन्य जिलों में भी प्रवासियों का आना लगातार जारी है. इसकी मुख्य वजह यहां की स्वच्छ आबोहवा भी है. हालांकि अभी कोरोना की रफ्तार उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में भी थमी नहीं है लेकिन देश के अन्य हिस्सों से अगर इसकी तुलना की जाए तो ये बाकी शहरों और राज्यों से अभी बेहतर स्थिति में है

इन सभी प्रवासियों ने स्मार्ट सिटी देहरादून पोर्टल पर अपने पंजीकरण कराए हैं. स्मार्ट सिटी पोर्टल की ओर से सार्वजनिक की गई जानकारी के मुताबिक, 21 अप्रैल से 22 मई तक प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में कुल 1,00,667 प्रवासियों ने उत्तराखंड वापसी के लिए अपना पंजीकरण कराया है. इनमें बड़ी संख्या उन प्रवासियों की है, जो अपने गांवों में लौटे हैं. उत्तरकाशी में करीब एक माह के अंतराल में सबसे कम केवल 861 प्रवासी ही लौटे हैं, जबकि अन्य जिलों में लगातार लोगों के लौटने का सिलसिला जारी है.

लौटने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी किसी भी दूसरे राज्य में रहने वाले उत्तराखंड के निवासी को वापस अपने घर लौटने के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी है. इस पंजीकरण के आधार पर ही उन्हें प्रदेश की किसी भी सीमा से प्रवेश दिया जा रहा है. लौटने के बाद क्वारंटीन और अन्य सभी नियम पहले की ही तरह हैं. सभी जिलों में ग्राम स्तर तक सरकार, कोविड रोकथाम के लिए ग्राम प्रधानों की अगुवाई में काम कर रही है.

प्रवासियों के लिए रोजगार की चुनौती उत्तराखंड में भी कोरोना का कहर जारी है. प्रदेश के पहाड़ी जिलों में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, जो सरकार के लिये चिंता का कारण बना हुआ है. ऐसे में लगातार लौट रहे प्रवासियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके लिये रोजगार जुटाना भी सरकार की चिंता का विषय बना हुआ है. प्रदेश के पर्वतीय जिलों में सरकार के लिए कोरोना संक्रमण को रोकना बड़ी चुनौती बना हुआ है.

जिलेवार क्या है प्रवासियों के आने का आंकड़ा? अल्मोड़ा- 31,218 बागेश्वर-   2956 चमोली-   2658 चंपावत-  3097 देहरादून- 7229 हरिद्वार-  4307 नैनीताल- 8240 पौड़ी- 22,196 पिथौरागढ़- 3649 रुद्रप्रयाग- 1934 टिहरी- 6888 ऊधमसिंह नगर- 5434 उत्तरकाशी- 861

पहाड़ी जिलों में दवाइयों की किल्लत टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जिलों में दवाइयों और बाकी जरूरी चीजों को पहुंचाया जा रहा है, जिसके लिए मेडिकल टीम को और अन्य सामाजिक कार्यों में जुटे लोगों को कई कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है.

 

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