दून के बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर व चिकित्सीय उपकरणों की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है।

संवादाता

 दून के बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर व चिकित्सीय उपकरणों की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। इससे जरूरतमंदों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा नही है कि कालाबाजारी के खिलाफ पुलिस हाथ बांधे बैठी है। पुलिस लगातार छापेमारी भी कर रही है, लेकिन बावजूद इसके कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है।

पिछले सप्ताह धनंजय चौहान ने रायपुर क्षेत्र में मेडिकल स्टोर से पल्स ऑक्सीमीटर खरीदा उनको 15 सो रुपए में मिला. क्रोना का डर और मजबूरी दोनों ही कारण  लोग पल्स ऑक्सीमीटर महंगा खरीदने को मजबूर हो जाते हैं गुरुवार को प्रेमनगर निवासी विशाल ने प्रेमनगर के ही एक मेडिकल स्टोर से पल्स ऑक्सीमीटर खरीदा। जो उन्हें एमआरपी से अधिक 1600 रुपये में दिया गया। नालापानी निवासी रजत सिंह ने नालापानी क्षेत्र में एक मेडिकल स्टोर से पल्स ऑक्सीमीटर खरीदने के लिए दाम पूछे तो उन्हें वहां 1800 रुपये का बताया गया, जबकि सहारनपुर चौक के पास एक मेडिकल स्टोर पर 2200 रुपये का पल्स ऑक्सीमीटर बताया गया। जबकि पल्स ऑक्सीमीटर की अधिकतम कीमत 1200 रुपये अंकित थी। हालांकि, मेडिकल संचालकों का यह कहना है कि इस समय पल्स ऑक्सीमीटर पर तीन हजार रुपये तक का प्रिंट रेट आ रहा है। मेडिकल स्टोर संचालक प्रिंट रेट से कम दाम में ही बेच रहे हैं।

दून के बाजार में ऑक्सीजन फ्लो मीटर की किल्लत बनी हुई है। यह पिछले एक महीने से बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में ज्यादा लोग सहारनपुर व दिल्ली से इन्हें मंगवा रहे थे। हालांकि, अंतरराज्यीय बस संचालन बंद होने से इस पर भी रोक लग गई है। सहारनपुर व दिल्ली से भी महंगे दामों में ही ऑक्सीजन फ्लो मीटर मिल रहा है। ऐसे में कुछ समाजसेवी मदद भी कर रहे हैं। लेकिन वह नाकाफी हो रही है

 

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