दुनिया में जो बड़े-बड़े फ्रॉड हुए हैं, उसमें ‘वनकॉइन’ फ्रॉड भी एक है. आप सोच रहे होंगे कि किसी बहुत शातिर, बद-दिमाग शख्स ने करोड़ों रुपये की लूट को अंजाम दिया होगा. ऐसा नहीं है. दुनिया को सकते में डाल देने वाले इस लूटकांड को एक बेहद खूबसूरत महिला ने अंजाम दिया था. उस महिला को तब ‘रूप की रानी’ या क्वीन भी कहा गया. ताज्जुब की बात है कि यह लूट डॉलर, पौंड, यूरो में नहीं हुई थी. बल्कि यह लूटकांड क्रिप्टोकरंसी की हुई थी. तब लोग डिजिटल करंसी से बहुत कम वाकिफ थे.
बात करते हैं उस खूबसूरत महिला की जिसने क्रिप्टो लूट को अंजाम दिया. इस ‘क्रिप्टो क्वीन’ का नाम है रूजा इग्नाटोवा. इनका जन्म 1980 में बुल्गारिया के सोफिया में हुआ. 10 साल की उम्र में सोफिया को अपने परिवार के साथ जर्मनी कूच करना पड़ा. साल 2005 में रूजा ने कोंसटांज यूनिवर्सिटी से लॉ में डॉक्टरेट की उपाधि ली. इसके बाद रूजा मैकिंजे एंड कंपनी से जुड़ गईं और मैनेजमेंट कंसलटेंसी का काम शुरू कर दिया. यह कंपनी अपने आप में दुनिया में अव्वल स्थान रखती है.
2014 में ‘वनकॉइन’ की शुरुआत
इस महारथी कंपनी में काम करते-करते रूजा ने 2014 में ‘वनकॉइन’ का निर्माण किया. यह एक क्रिप्टोकरंसी थी. तब दुनिया में क्रिप्टो की सुगबुहाट शुरू हुई थी. लोग जानते थे लेकिन अधूरे मन से. खरीदारी शुरू हो चुकी थी लेकिन कुछ सेंट और बक्स में. हालांकि उस वक्त बिटकॉइन चलन में था लेकिन तब वे लोग खरीदते थे जिन्हें क्रिप्टो का ज्ञान था. रूजा ने वनकॉइन मार्केट में उतारा और देखते-देखते उनकी करंसी ‘बिटकॉइन किलर’ बन गई.
रूजा पब्लिक फोरम पर अपने क्रिप्टो की वकालत करतीं, कॉन्फ्रेंस तक में उसे प्रमोट करतीं. रूजा ने दुनिया का कोई कोना नहीं छोड़ा जहां उन्होंने वनकॉइन की खासियत न बताई हो. यहां तक कि वेंबले स्टेडियम में कॉन्फ्रेंस की गई और चर्चा वनकॉइन की हुई. आप इससे समझ सकते हैं कि रूजा इग्नाटोवा की शख्सियत किस कदर की रही होगी.
कैसे हुई लूट की प्लानिंग
आप जानना चाहते हैं कि घोटाला कैसे हुआ और इसकी प्लानिंग कैसे की गई. रूजा इग्नाटोवा दुनिया के इनवेस्टर्स को न्योता दिया और पैकेज का ऐलान किया. यह पैकेज था क्रिप्टोकरंसी वनकॉइन को माइन करने और उस पर पैकेज पाने का. वनकॉइन की कीमत एक वेबसाइट पर दिखाई जाती थी. वेबसाइट पर जनवरी 2015 में वनकॉइन की कीमत 0.43 पौंड थी जो 2019 में 25 पौंड पर पहुंच गई. हालांकि यह किसी वास्तविक लेनदेन पर आधारित डेटा नहीं था, लेकिन तब भी लोग इस क्रिप्टो के दीवाने थे. ऑर्डिनरी डेटाबेस में करंसी की ओनरशिप मेंटेन होती थी. उस वक्त करंसी का कोई ब्लॉकचेन या डिजिटल लेजर नहीं था. यह एक तरह से पोंजी स्कीम की तरह था जिसमें लोगों को अगर क्रिप्टो बेचना होता था तो उन्हें पैसे भेजे जाते थे.
चेतावनी के बाद भी नहीं माने लोग
जब धीरे-धीरे इसमें गड़बड़ी उजागर हुई दुनिया के रेगुलेटर्स में वनकॉइन को लेकर मतभेद हो गए. रेगुलेटर्स ने कहा कि इसमें घपला हो सकता है. इस चेतावनी के बावजूद रूजा का करिश्मा और लोगों के बीच उनका आकर्षण ऐसा था कि लोग धड़ाधड़ वनकॉइन में पैसा लगाते रहे. अचानक रूजा 2017 में कहीं गायब हो गईं. उसके पहले रूजा ने ऐलान किया था कि बहुत जल्द कोई स्कीम लाने वाली हैं. रूजा का अब भी कोई पता नहीं है और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के वॉन्टेड लिस्ट में शामिल हैं. रूजा के भाई कोंस्टेंटिन को फ्रॉड का आरोपी बनाया गया और दोष सिद्धि हुई. पिछले साल उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय हुए. इसमें और भी कई लोग फंसे जो वनकॉइन से जुड़े थे.
12 अरब डॉलर की लूट
अमेरिकी प्रशासन के एक आंकड़े के मुताबिक, 2014 से 2017 के बीच वनकॉइन ने कम से कम 4 अरब डॉलर जमा किए. कुछ लोगों का मानना है कि यह राशि 12 अरब डॉलर तक हो सकती है. जिन-जिन लोगों ने इसमें पैसे फंसाए, वे अब भी माथा पकड़ कर बैठे हुए हैं. उनके पैसे का कोई अता-पता नहीं है.