ट्रेन से किसी पशुओं के कटने पर रेलवे विभाग को होता है करोड़ों का नुकसान जानिए कैसे

वीएस चौहान की रिपोर्ट

भारतीय रेल हमारे देश में  एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए  लोगों के लिए एक बहुत बड़ा साधन है साथ ही ट्रांसपोर्ट के लिए किसी भी सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए एक बहुत बड़ा साधन है  हमारे देश में  बहुत बड़ी संख्या में रेलवे ट्रेन से लोग यात्रा करते हैं.
  कभी-कभी  कुछ देरी के लिए ट्रेन रुक जाती है तो  यात्रियों को परेशानी हो जाती है  कोई व्यक्ति नौकरी के लिए जा रहा होता है  कोई व्यक्ति देने के लिए जा रहा होता है कोई व्यक्ति  किसी बीमार  की सहायता के लिए जा रहा होता है कभी-कभी  किसी जानवर के रेलवे ट्रैक पर आ जाने पर ट्रेन लेट हो जाती है  लेकिन आपको मालूम नहीं होगा  ट्रेन  जब कभी लेट होती है  तो रेल विभाग को करोड़ों का नुकसान भी होता है एक आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक, अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन (Passenger Trains) एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है. वहीं, इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन (Goods Trains) को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है.
अक्सर  यह देखा जाता है कि  कोई पक्षी या कोई जानवर रेलवे ट्रैक के सामने आ गया है और ट्रेन लेट हो रही है बेशक सुनने और देखने में ट्रेन से पशु कटने की घटना सामान्य लगती है, लेकिन ट्रेन से पशु कटने पर रेलवे (Indian Railways) को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. जब भी पशु कटने के बाद ट्रेन (Train) रुकती है तो बिजली या डीजल का खर्च बढ़ जाता है. पैसेंजर और गुड्स ट्रेन से जानवर कटने का खर्च अलग-अलग है. दो-तीन साल में ट्रेन से पशु कटने की घटनाएं बढ़ गई हैं. इसके चलते 15-15 मिनट तक ट्रेन लेट हो रही हैं. कुछ खास ट्रेन के मामले में लेट होने पर तो यात्रियों को भी भुगतान करना होता है.

आपके बताना जरूरी है कि आरटीआई में मिली एक जानकारी के मुताबिक, अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उसे 20401 रुपये का नुकसान होता है. वहीं, इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13392 रुपये का नुकसान होता है. यह वो नुकसान है, जो सीधे तौर पर रेलवे को होता है. अब ट्रेन में बैठे यात्रियों को कितना नुकसान उठाना पड़ता होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.

रेल विभाग के आंकड़े बताते हैं कि आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार ट्रेन से पशुओं के कटने की घटनाएं यूपी में बहुत होती हैं. पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में भी पशुओं के ट्रेन से कटने की बहुत घटनाएं होती हैं. नॉर्थ-ईस्ट में तो ट्रेन से टकराकर हाथी भी मर रहे हैं. अगर रेलवे के मुरादाबाद मंडल की बात करें तो 2016 से लेकर 2019 तक चार साल में 3090 पशु कटने के बाद ट्रेन 15 मिनट तक लेट हो गईं थी.आगरा मंडल में 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 3360 पशु ट्रेन से कट चुके हैं. दूसरी ओर, झांसी में भी इस समय अवधि में करीब 4300 पशु ट्रेन से कटे थे. भोपाल मंडल में करीब 3900 पशु कटे थे. इलाहबाद मंडल के मुताबिक, 1 अप्रैल 2018 से 30 नवंबर 2018 तक 1685 घटनाएं पशु टकराने की हुईं थीं और 1 अप्रैल 2019 से 30 नवंबर 2019 में 2819 घटनाएं पशुओं के ट्रेन से टकराने की हुईं थी. दानापुर मंडल में पशु कटने पर जिन ट्रेनों को 15 मिनट से ज़्यादा रोकना पड़ा उनकी संख्या 5 साल में 600 है, जबकि भोपाल में 603 है .

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