वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धा, जो आज का हम्पी है, जानिए इसका इतिहास

वीएस चौहान की रिपोर्ट

किष्किंधा कर्नाटक के बेल्लारी जिला में  मौजूद है किष्किन्धा जो कि आज  हम्पी है, यह पर्वत हंपी नाम के छोटे से शहर के आसपास है। हंपी शहर पहले  एक विशाल पर्वत  पर  बड़ी गुफाओं में  यह शहर बसा हुआ था।वाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख है किष्किंधा गुफा का जिक्र किया है वाल्मीकि रामायण में पहले वालि का तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य बताया गया है. रामायण के काल में  विन्ध्याचल पर्वत माला से लेकर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में एक घना वन फैला हुआ था जिसका नाम था  दण्डक वन।

किष्किंधा पर्वत  आज एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां पर छोटी बड़ी चट्टानों से बने पर्वत है।उसी वन में यह राज्य था. अतः यहाँ के निवासियों को वानर कहा जाता था, जिसका अर्थ होता है वन में रहने वाले लोग. वर्तमान में कर्नाटक का बेल्लारी जिला और यहां का एक छोटा सा शहर हम्पी(पंपा से निकला हुआ) कभी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था, प्राचीन काल में पंपा के नाम से भी जाना जाता था.

यहाँ एक तुंगभद्रा पवित्र नदी भी है जिसका जन्म तुंगा एवं भद्रा नदियों के मिलन से हुआ है. इसको रामायण काल में पंपा के नाम से जाना जाता था. बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी यहीं स्थित है।

रामायण के अनुसार किष्किंधा  का राजा बाली था। बाली और बाली के भाई सुग्रीव में युद्ध हुआ था ।श्री राम की मदद से सुग्रीव की विजय हुई।किष्किंधा का राजा सुग्रीव को बनाया गया था। इस क्षेत्र में ही आंजनाद्रि_पर्वत पर बजरंगबली के पिता महाराज केसरी का राज था, जहां बजरंगबली रहते थे। आजनात्रि पर्वत पर हनुमान जी का भव्य मंदिर है जो नीचे से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है ।जिसे पर्वतों ने एक सफेद मुकुट पहना हुआ है। हम्पी नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है जहाँ अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है.

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