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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) पर गठित कमेटी ने यूसीसी कानून के लिए अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले राज्य के सभी वर्गों, धर्मों, राजनीतिक दलों से बातचीत करने का दावा किया है। कमेटी को समान नागरिक संहिता पर 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं।
कमेटी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि समान नागरिक संहिता पर अंतिम रिपोर्ट बनाने के लिए कम से कम 143 बैठकों का आयोजन किया गया। अंतिम बैठक 24 जून 2023 को दिल्ली में हुई थी, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के लोगों से बातचीत कर उनकी राय ली गई थी। कमेटी को 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं, तो उसने लगभग दो लाख लोगों से सीधे मिलकर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी है। कमेटी ने कहा है कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए उसने राज्य के हर जिले के हर समूह से बात की है और रिपोर्ट में सबकी बातों को समाहित किया गया है।
कमेटी की सदस्य जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि वे जल्द ही रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगी। इसके बाद यह सरकार को तय करना है कि वह इसको लेकर अपना क्या रुख अपनाती है।
वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यूसीसी लागू करने को गौरव का क्षण बताया। धामी के बयान को देखते हुए माना जा रहा है कि राज्य जल्द ही समान नागरिक संहिता कानून लागू कर सकता है।
इस UCC मसौदे के तहत लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 18 से 21 साल करने की शिफारिश रखी गई है. इसके अलावा राज्य में शादी के पंजीकरण को अनिवार्य करने का प्रावधान रखा गया है. वहीं लिव-इन रिलेशन में रहने वाले कपल बिना परिवार को इसकी जानकारी दिए ऐसा नहीं कर पाएंगे.
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) के मसौदे के तहत हलाला और इद्दत जैसी कुरीतियों को समाप्त कर दिया गया है. आमतौर पर मुस्लिम धर्म में शादी टूटने की स्थिति में इन प्रथाओं को अमल में लाया जाता है. राज्य में सभी धर्म के लोगों के लिए केवल कानून के माध्यम से तलाक लेना अनिवार्य होगा. बताया गया कि देश में अब केवल एक ही शादी की इजाजत होगी. चाहे पुरुष/महिला किसी भी धर्म के क्यों ना हो, उन्हें बिना तलाक लिए एक वक्त में दो पत्नी/पति रखने की इजाजत नहीं होगी