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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को मोगा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वारिस पंजाब दे चीफ अमृतपाल सिंह को मोगा के गुरुद्वारा से गिरफ्तार किया गया है। अमृतपाल 35 दिन बाद पुलिस के हाथ लगा है। रविवार को सुबह 6:45 पर गुरुद्वारे से बाहर निकलते हुए गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस अमृतपाल को कई दिनों से देश के कई हिस्सों में तलाश कर रही थी। उसने भी अपने समर्पण को लेकर कई बार संदेश भेजे लेकिन वह अब तक गिरफ्त से बाहर रहा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अमृतपाल ने मोगा के गांव रोड़े में सरेंडर किया है, ये जरनैल सिंह भिंडरावाला का पैतृक गांव है। अमृतपाल सिंह को बठिंडा से एयरलिफ्ट कर डिब्रूगढ़ जेल लाया जाएगा। अमृतपाल भिंडरावाले के नक्शे कदम पर चल रहा था. उसने अपना हुलिया भिंडरावाले वाले की तरह बनाया हुआ था. 2012 में दुबई चला गया था. 2022 में दुबई से भारत लौटा इससे पहले 2020 में भारत आया था. भारत में चल रहे किसान यूनियन के आंदोलन में शामिल हो गया था. दीप सिद्धू की मौत के बाद वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख बन गया था. इस पर खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने का आरोप लगा था. गौरतलब है कि फरवरी में अजनाला थाने पर अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने हमला किया था. वहां पर उसने पुलिस थाने पर कब्जा कर लिया था. अपने साथी लवप्रीत तूफान की रिहाई के लिए थाने पर हमला किया था. और उसको वहां से छुड़ाकर ले गया था.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा जाएगा। बता दें कि पंजाब पुलिस पहले ही खालिस्तान समर्थक के खिलाफ सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगा चुकी है। सिंह 18 मार्च से फरार चल रहा था जब उसके और उसके सहयोगियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई शुरू की गई थी। पुलिस ने 18 मार्च को अमृतपाल सिंह और उनके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी।
वारिस पंजाब दे का प्रमुख अमृतपाल सिंह 18 मार्च से फरार था। वह दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में दिखाई दिया। उसके कईं फोटो और वीडियो भी सामने आए थे। इनमें अमृतपाल खुलेआम घूमता दिखा लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियों के हाथ उस तक नहीं पहुंच पा रहे थे। इस बीच अमृतपाल ने वीडियो जारी कर पुलिस को चुनौती भी दी और कहा कि कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता।
लगातार ठिकाने बदलता रहा अमृतपाल
अमृतपाल सिंह 18 मार्च को मोगा के सीमावर्ती इलाके कमालके से फरार हुआ था। जिसके बाद वह लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा। अमृतपाल को ढूंढने में पंजाब पुलिस के 80 हजार जवानों के अलावा तमाम राजपत्रित अधिकारी, काउंटर इंटेलिजेंस व खुफिया एजेंसी के अधिकारी बुरी तरह से विफल हुए। उसकी तलाश नौ से ज्यादा राज्यों में की गई। उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा पर अमृतपाल के पोस्टर लगाकर पुलिस पूरी तरह अलर्ट थी।