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उत्तराखंड प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना का दायरा और बढ़ाया है। इसके तहत अब आयुष पद्धति यानी आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी, सिद्धा व नैचुरोपैथी के इलाज को भी शामिल किया गया है। इस पद्धति से इलाज के दावों का भुगतान केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना की दरों के हिसाब से किया जाएगा।
प्रदेश में इस समय 1.5 लाख से अधिक कर्मचारी और पेंशनर्स राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना का लाभ ले रहे हैं। इसके तहत अभी तक कार्मिकों, पेंशनर व उनके स्वजन के पांच लाख कार्ड बनाए जा चुके हैं। अभी तक इस योजना में केवल एलोपैथिक पद्धति से उपचार को मान्यता थी।
2021 में प्रदेश सरकार ने की थी घोषणा
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 में गोल्डन कार्ड में कर्मचारियों व पेंशनर्स को आयुष पद्धति से होने वाले इलाज को शामिल करने की घोषणा की थी। कर्मचारी संगठन भी लंबे समय से इस विषय को सरकार के समक्ष उठा रहे थे। अब सरकार ने आयुष पद्धति को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है।
इस संबंध में सचिव आयुष डा आर राजेश कुमार द्वारा आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि आयुष पद्धति से होने वाले उपचार की स्थिति में इसका भुगतान केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की दरों पर किया जाएगा।
इसका परीक्षण निदेशक आयुर्वेद, होम्योपैथ व यूनानी द्वारा किया जाएगा। दावा प्राप्त होने के बाद संबंधित विभाग इसका परीक्षण कर अनुमोदन करेंगे। दरों का राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण स्तर पर पुन: परीक्षण नहीं किया जाएगा। सचिव स्वास्थ्य ने यह भी निर्देश दिए हैं कि दावों का भुगतान सीजीएचएस की दरों से इतर होने की स्थिति में इन्हें प्रमाणित करने वाले ही उत्तरदायी होंगे।
यह भी साफ किया गया है कि यदि कार्मिक, पेंशन एवं उन पर आश्रित परिवार के सदस्यों में से किसी की मृत्यु उपचार के दौरान होती है और उनका गोल्डन कार्ड नहीं बन पाया है तो ऐसे भुगतान कार्मिकों व पेंशनर्स के पहचान पत्र से सुनिश्चित किए जाएंगे।