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भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के अधीन काम करने वाले वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) समेत देशभर के 14 संस्थानों में पेंशन बंद हो गई है। यह आपात स्थिति आइसीएफआरई के पेंशन फंड में पैसा खत्म होने के चलते आई है। इससे वानिकी अनुसंधान के देशभर के अहम 14 संस्थानों के एक हजार से अधिक पेंशनर प्रभावित हुए हैं।
आइसीएफआरई के अधीन काम करने वाले 14 संस्थानों/केंद्रों से रिटायर होने वाले विज्ञानियों व अन्य कार्मिकों की पेंशन पर हर माह करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इनकी पेंशन को निर्बाध रूप से जारी करने के लिए वर्ष 2008 में पेंशन फंड ट्रस्ट बनाया गया था। जिसमें आइसीएफआरई अपने राजस्व से प्राप्त आय का कुछ हिस्सा जमा करती रहती है।
वहीं, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी समय-समय पर मदद करता आया है। हालांकि, धीरे-धीरे रिटायर होने वाले कार्मिकों की संख्या बढ़ने और जमा राशि में कमी आने के चलते फंड में कमी आती चली गई। अब स्थिति यह आ गई है कि आइसीएफआरई को नोटिस जारी कर यह बताना पड़ गया कि पेंशन फंड में पैसा खत्म हो गया है। साथ ही नोटिस में कहा गया है कि जनवरी 2023 के बाद पेंशन जारी नहीं की जाएगी। हालांकि, पेंशनरों को जनवरी माह की भी पेंशन जारी नहीं की जा सकी।
जून 1991 से पहले वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) व देश के अन्य वानिकी शोध संस्थान पृथक-पृथक रूप में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सीधे अधीन कार्यरत थे। हालांकि, जून 1991 के बाद आइसीएफआरई को स्वायत्त निकाय घोषित कर दिया गया। साथ ही एफआरआइ समेत अन्य संस्थानों को परिषद के अधीन कर दिया गया। तब सरकार ने विभिन्न केंद्रीय कार्मिकों को आइसीएफआरई में अनिवार्य प्रतिनियुक्ति पर भेजा था।
कार्मिकों को विकल्प दिए गए कि यदि वह आइसीएफआरई में समायोजित होना चाहते हैं तो उनकी सेवा शर्तें पूर्व की भांति ही लागू रखी जाएंगी। उस समय रिटायर होने वाले कार्मिक कम थे तो कोई समस्या नहीं आई। हालांकि, समय के साथ रिटायर कार्मिकों की संख्या बढ़ने पर वर्ष 2008 में पेंशन फंड ट्रस्ट गठित कर दिया गया था। वर्ष 2011 से पेंशन को लेकर चिंता बढ़ने पर परिषद के कार्मिक निरंतर केंद्र सरकार से उचित व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के विभागों से समाहित पेंशनर विज्ञानी, 263 तकनीकी कार्मिक, 354 प्रशासनिक कार्मिक, 422 कुल, 1039इन संस्थानों/केंद्रों के पेंशनर प्रभावित एफआरआइ देहरादून, टीएफआरआइ जबलपुर, एएफआरआइ जोधपुर, एचएफआरआइ शिमला, आइएफपी रांची, आइएफबी हैदराबाद, आइएफजीटीबी कोयंबटूर, आरएफआआइ जोरहाट, आइडब्ल्यूएसटी बंगलुरू, एसडीसी छिंदवाड़ा, बीआरसी आइजाल, ईआरसी प्रयागराज, एलईसी अगरतला, सीईसी विशाखापत्तनम।