Herdyes ballabh goswami for NEWS EXPRESS INDIA
रुद्रपुर। मटर का समर्थन मूल्य नहीं मिलने पर आक्रोशित किसानों ने यूपी से आए मटर के 15 ट्रकों को बिगवाड़ा मंडी समिति में नहीं उतरने दिया। किसानों ने मंडी समिति से स्थानीय किसानों की मटर 16 से 17 रुपये प्रति किलो खरीदने की मांग की। चेतावनी दी कि यदि किसानों को मटर के सही दाम नहीं मिले तो वे जिले के बॉर्डर पर जाम लगा देंगे और यूपी से आ रहे मटर के ट्रकों को जिले में घुसने नहीं देंगे।
रविवार को बिगवाड़ा मंडी समिति के बाहर किसानों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान यूपी के झांसी और जालौन जिले से मंडी में पहुंचे मटर की बोरियां लदे ओवरलोड ट्रकों को किसानों ने उतरने नहीं दिया। किसानों ने कहा कि जब तक प्रदेश के किसानों को मटर का उचित समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा, मटर की खेपों को उतरने नहीं देंगे।
कहा कि मंडी समिति की ओर से किसानों से नौ रुपये किलो की दर से मटर खरीदी जा रही है। किसानों को मटर तुड़वाई के ही श्रमिकों को चार रुपये देने पड़ते हैं। ऐसे में किसानों को सिर्फ पांच रुपये बच रहे हैं। वहीं फ्रोजन प्लांटों में मटर के दानों को 50 रुपये किलो में दिया जा रहा है और दुकानों में मटर के दाने 70 रुपये किलो की दर से बेचे जा रहे हैं। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहां जिला कोषाध्यक्ष सुखविंदर सिंह बाठला, रामकुमार कम्बोज, सद्दाम पाशा, हरजीत सिंह, दलीप सिंह, राशिद अली आदि थे।
उत्तराखंड की मंडी में पड़ोसी राज्यों से माल खरीदा जा रहा है जबकि प्रदेश में अच्छी खासी मटर की पैदावार होती है। यहां के किसानों को मटर का समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बॉर्डर सील कर देंगे।
मंडी में मटर का करीब 16 से 17 रुपये किलो दाम मिलना चाहिए। सिर्फ नौ रुपये रेट में ही मटर खरीरी जा रही है। वो भी मटर उतरने के अगले दिन बाद मंडी में रेट खोले जाते हैं। इससे तत्काल पता नहीं चल पाता कि पैदावार के दाम क्या मिलेंगे।
– राजा पासा, किसान।
धान के बाद अब मटर की खेती में मार पड़ रही है। नौ रुपये प्रति किलो की दर से हमसे मटर खरीदी जा रही है। चार रुपये तो सिर्फ तुड़वाई के ही देने पड़ते हैं। एक किलो मटर में पांच रुपये बच रहे हैं। ऐसे में किसान अपना घर कैसे चलाएगा।
यूपी की तर्ज पर माफ हो गेहूं और धान पर मंडी शुल्क
रुद्रपुर। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया राइस मिलर्स ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर यूपी की तर्ज पर गेहूं और धान पर लगने वाले मंडी शुल्क को खत्म करने की मांग की है। संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पीडी अग्रवाल ने ईमेल से भेजे ज्ञापन में कहा है कि यूपी में 28 जनवरी से राइस मिल, फ्लोर मिल आदि इकाइयों पर लगने वाले मंडी शुल्क और विकास सेस को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उत्तराखंड में भी मंडी शुल्क को खत्म किया जाए।
इससे किसानों को उपज का अधिक मूल्य मिलेगा वहीं राइस मिलें यूपी के उद्योगों की प्रतिस्पर्धा में जिंदा रह सकेंगी। यूपी में राइस मिल, फ्लोर मिल को उपमंडी स्थल घोषित करने की व्यवस्था है। ऐसी व्यवस्था होने पर मिल गेट पर किसानों से सीधे खरीदे गए धान और गेहूं पर कोई मंडी शुल्क नहीं देना होता है। उन्होंने बताया कि नौ फ रवरी को देहरादून में मुख्यमंत्री से इस संबंध में एसोसिएशन से जुड़े राइस मिलर्स मुलाकात भी करेंगे।